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Friday 10 August 2018

क़ुरबानी की फ़ज़ीलत व मसाइल* #09


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*क़ुरबानी के मदन फूल* #02

     क़ुरबानी के वक़्त में क़ुरबानी करना ही लाज़िम हैकोई दूसरी चीज़ इसके क़ाइम मक़ाम नही हो सकती, मसलन बजाए क़ुरबानी के बक़रा या उस की क़ीमतसदक़ा कर दी जाए ये नाकाफी है।

*✍🏽आलमगिरी 5/293*

*✍🏽बहारे शरीअत3/335*


*_क़ुरबानी के जानवरकी उम्र_*

     ऊंट 5 साल का, गाय दो साल की, बकरा (इसमें बकरी,दुम्बा और भेड़ नर व मादा दोनों शामिल है) एक साल का। इससे कम उम्र हो तो क़ुरबानी जाइज़नही, ज़्यादा हो तो जाइज़ बल्कि अफज़ल है।

     दुम्बा या भेड़ का 6 महीने का बच्चा अगर इतनाबड़ा हो की दूर से देखने में साल भर का मालुम हो तो उसकी क़ुरबानी जाइज़ है।

*✍🏽दुर्रेमुखतार9/533*

याद रखिये ! मुतलकन 6 माह के दुम्बे कीक़ुरबानी जाइज़ नही, इस का इतना तगड़ा और क़द आवर होना ज़रूरी है कि दूर से देखने मेंसाल भर का लगे। अगर 6 माह बल्कि साल में एक दिन भी कम उम्र का दुम्बे या भेड़ काबच्चा दूर से देखने में साल भर का नही लगता तो उस की क़ुरबानी नही होगी।

     क़ुरबानी का जानवर बे ऐब होना ज़रूरी है अगर थोडासा ऐब हो (मसलन कान में चिर या सुराख हो) तो क़ुरबानी मकरूह होगी और ज़्यादा ऐब हो तोक़ुरबानी नही होगी।

*✍🏽बहारे शरीअत3/340*

*✍🏽अब्लाक़ घोड़े सुवार10*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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