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Saturday 25 August 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #228


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*क़ौम ने सालेह عليه السلام से मोअजिज़ा तलब किया* #02

     आप की दुआ को अल्लाह ने शरफे क़बूलिय्यत बख्शा। वो लोग देख रहे थे कि पहाड़ी चट्टान में बिल्कुल वही कैफियत पैदा हुई जिस तरह किसी जानवर पर पैदाइश के वक़्त होती है दर्द की वजह से कराहना। इज़तीराब वगैरा यहां तक कि उनके सामने वो चट्टान फ़टी उससे हामिला ऊंटनी पैदा हुई जिसके जिस्म पर उन थी पेट बड़ा था, आपका मोअजिज़ा देखकर जन्दा बिन अमर और उसके साथ चन्द और लोगों ने ईमान क़बूल कर लिया, बाक़ी लोगों को ईमान लाने से ज़वाब बिन अमर और अहबाब और रब्बाब बिन समअर ने मना कर दिया। यही दोनों शख्स उनके बुतों पर मुक़र्रर थे यानी बूत खाना के नाज़िम थे और तीसरा शख्स रब्बाब काहीन था उन लोगों के सामने ही ऊंटनी ने बच्चा जना अस्सी ऊंटनी जितना था।

     चूंकि सालेह عليه السلام ने रब के हुक्म से बयान कर दिया था कि एक दिन पानी पीने की बारी ऊंटनी की होगी और एक दिन तुम्हारी और तुम्हारे जानवरों और बाक़ी जंगली जानवरों और परिंदों बगैर की।

     ऊंटनी अपने बच्चे के साथ जंगल में चरती थी अपने बारी के दिन ऊंटनी और उसका बच्चा सारा पानी पी जाते थे यानी कुंए में मुंह रखती और उठती उस वक़्त जब पानी खत्म हो जाता वो दूध इतना ज्यादा देती थी कि वो लोग पीते और अपने बर्तन भर लेते। वो ऊंटनी गर्मियों में वादियों के ज़ाहिरी हिस्से में चरती थी तो ऊंटनी को देखकर उनके जानवर वादियों के नशेबी अंदरूनी हिस्से में भाग कर चले जाते। सर्दियों में वो ऊंटनी नशेबी हिस्से मे चरती तो उनके जानवर भागकर वादियों के हिस्से में आ जाते। उन्हें इस सूरते हाल से बहुत मुश्किल दरपेश आ रही थी उन्होंने उस ऊंटनी को अपनी राह से हटाने का फैसला कर लिया।


*ऊंटनी की कोंचे काट दी*

     सालेह عليه السلام ने उन्हें पहले ही बताया था कि इस ऊंटनी को बुराई में मस न करना वरना तुम अज़ाब में मुब्तला हो जाओगे। लेकिन वो बअज़ न आए जब ऊंटनी की कोंचे काट दी तो आपने उन्हें कहा कि अब अज़ाब क़रीब आ चुका है। आप ने फरमाया अपने घरों में 3 दिन और बरत लो (नफा हासिल करलो) यह वादा है कि झूठा न होगा।

*तज़किरतुल अम्बिया* 186

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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