بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
अब सना पढ़िये, फिर तअव्वुज़ पढ़िये : "अउजुबिल्लाहि मिनशैतानी रज़िम"
(में अल्लाह तआला की पनाह में आता हु शैतान मरदूद से)
फिर तस्मिया पढ़िये
"बीसमील्लाही-र्रहमा निर्रहीम"
(अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत महेरबान रहमत वाला)
फिर सूरए फातिहा पढ़िये
सूरए फातिहा खत्म करके आहिस्ता से आमीन कहिये।
फिर 3 आयात या एक बड़ी आयत जो 3 छोटी आयतो के बराबर हो या कोई सूरत मसलन सूरए इखलास पढ़िये।
अब "अल्लाहु अकबर" कहते हुए रुकूअ में जाइये।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 148-150*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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