*खुशबु लगाने की सुन्नते लर आदाब* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_खुशबु का तोहफा_*
हज़रत अनस बिन मालिक رضي الله عنه खुशबु का तोहफा रद नही फ़रमाते थे आप फ़रमाते है की नबी صلى الله عليه وسلم की खिदमत में जब खुशबु तोहफ्तन पेश की जाती तो आप रद नही फ़रमाते।
*✍🏼तिर्मिज़ी*
फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : तीन चीज़े वापस नही लौटानी चाहिए (1) तकिया (2) खुशबु व तेल (3) दूध।
खुशबु, तकिया और दूध (और इन में तमाम कम क़ीमत की चीज़े शामिल है) का हदिया क़बूल करने की हिकमत मुहद्दिसिने किराम ये बयान करते है की उमुमन ये चीज़े इतनी क़ीमती नही होती और ज़ाहिर है जो सस्ती चीज़ होती है वो देने वाले के लिये ज़्यादा बोझ साबित नही होती और क़बूल न करने पर देने वाले का दिल टूटने का अन्देशा भी रहता है। और चुकी हमारे मदीने वाले आक़ा صلى الله عليه وسلم किसी का दिल तोडना पसन्द नही करते थे। इस लिए आप खुशबु का तोहफा रद नही फ़रमाते।
चुनान्चे हमे भी चाहिये की अगर हमे कोई खुशबु या सस्ती चीज़ तोहफ्तन पेश करे तो उसे सुन्नत समझ कर क़बूल करने में कोई हरज नही मगर गौर कर लेना मुनासिब मालुम होता है की कही मुरुव्वत वगैरा में तो नही दे रहा की ये देना बाद में खुद उसी पर बार पड़ जाए।
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 87*
*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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हज़रत अनस बिन मालिक رضي الله عنه खुशबु का तोहफा रद नही फ़रमाते थे आप फ़रमाते है की नबी صلى الله عليه وسلم की खिदमत में जब खुशबु तोहफ्तन पेश की जाती तो आप रद नही फ़रमाते।
*✍🏼तिर्मिज़ी*
फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : तीन चीज़े वापस नही लौटानी चाहिए (1) तकिया (2) खुशबु व तेल (3) दूध।
खुशबु, तकिया और दूध (और इन में तमाम कम क़ीमत की चीज़े शामिल है) का हदिया क़बूल करने की हिकमत मुहद्दिसिने किराम ये बयान करते है की उमुमन ये चीज़े इतनी क़ीमती नही होती और ज़ाहिर है जो सस्ती चीज़ होती है वो देने वाले के लिये ज़्यादा बोझ साबित नही होती और क़बूल न करने पर देने वाले का दिल टूटने का अन्देशा भी रहता है। और चुकी हमारे मदीने वाले आक़ा صلى الله عليه وسلم किसी का दिल तोडना पसन्द नही करते थे। इस लिए आप खुशबु का तोहफा रद नही फ़रमाते।
चुनान्चे हमे भी चाहिये की अगर हमे कोई खुशबु या सस्ती चीज़ तोहफ्तन पेश करे तो उसे सुन्नत समझ कर क़बूल करने में कोई हरज नही मगर गौर कर लेना मुनासिब मालुम होता है की कही मुरुव्वत वगैरा में तो नही दे रहा की ये देना बाद में खुद उसी पर बार पड़ जाए।
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 87*
*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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