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Friday 2 June 2017

*अहकामे रोज़ा* #20
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_इफ्तार के वक़्त दुआ क़बूल होती है_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : बेशक रोज़ादार के लिये इफ्तार के वक़्त एक ऐसी दुआ होती है जो रद नही की जाती।
*अत्तरगिब् वत्तरहिब, 2/53, हदिष:29*

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم :  तीन शख्स की दुआ रद नही की जाती...
1. रोज़ादार की बी वक़्ते इफ्तार
2. बादशाहे आदिल
3. मज़लूम
इन तीनो की दुआ अल्लाह बादलो से भी ऊपर उठा लेता है और आसमानों के दरवाज़े उस के लिये खुल जाते है और अल्लाह फ़रमाता है, मुझे मेरी इज़्ज़त की क़सम ! में तेरी ज़रूर मदद फरमाउंगा अगर्चे कुछ देर बाद हो।
*✍🏼सुनने इब्ने माजह, 2/349, हदिष:1752*

*_दुआ के तीन फ़वाइद_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : दुआ बन्दे की तिन बातो से खाली नही होती (1) या उसका गुनाह बख्शा जाता है। यव(2) उसे फायदा हासिल होता है। या (3) उसके लिये आख़िरत में बलाई जमा की जाती है की जब बन्दा आख़िरत में अपनी दुआओ का षवाब देखेगा जो दुन्या में मक़बूल न हुई थी, तो तमन्ना करेगा, काश ! दुन्या में मेरी कोई दुआ क़बूल न होती और सब यही (यानी आख़िरत) के वासिते जमा हो जाती।
*✍🏼अत्तरगिब् वत्तरहिब, 2/315*
देखा आप ने, दुआ राएगा तो जाती ही नही। इस का दुन्या में अगर असर ज़ाहिर न भी हो तो आख़िरत में अज्र व षवाब मिल ही जाएगा। लिहाज़ा दुआ में सुस्ती करना मुनासिब नही।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 186*

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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