*अहकामे रोज़ा* #22
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*_रोज़ा तोड़ने वाली बाते_* #02
★ सोते में (या नींद की हालत में) पानी पी लिया या कुछ खा लिया, या मुह खुला था, पानी का क़तरा या बारिश का ओला हल्क़ में चला गया तो रोज़ा टूट गया।
★ दूसरे का थूक निगल लिया या अपना ही थूक हाथ में ले कर निगल लिया तो रोज़ा टूट गया।
जब तक थूक बलगम मुह के अंदर मौजूद हो उसे निगल जाने से रोज़ा नही टूटता, बार बार थूकते रहना ज़रूरी नही।
★ मुह में रंगीन डोरा वगैरा रखा जिस से थूक रंगीन हो गया फिर वो रंगीन थूक निगल गए तो रोज़ा टूट गया।
★ आसु मुह में चला गया और आप उसे निगल गए। अगर क़तरा दो क़तरा है तो रोज़ा न गया और ज़्यादा था की उस की नमकिनी पुरे मुह में महसूस हुई तो रोज़ा टूट गया। पसीने का भी यही हुक्म है।
★ फुज़ले का मक़ाम बाहर निकल आया तो हुक्म ये है की खूब अच्छी तरह किसी कपड़े वगैरा से पूछ कर उठे ताकि तरी बाक़ी न रहे। अगर कुछ पानी उस पर बाक़ी था और खड़े हो गए जिस की वजह से पानी अन्दर चला गया तो रोज़ा फासिद हो गया। इसी वजह से फुकहाऐ किराम फ़रमाते है की रोज़ादार इस्तिन्ज़ा करने में सास न ले।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 203*
*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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★ दूसरे का थूक निगल लिया या अपना ही थूक हाथ में ले कर निगल लिया तो रोज़ा टूट गया।
जब तक थूक बलगम मुह के अंदर मौजूद हो उसे निगल जाने से रोज़ा नही टूटता, बार बार थूकते रहना ज़रूरी नही।
★ मुह में रंगीन डोरा वगैरा रखा जिस से थूक रंगीन हो गया फिर वो रंगीन थूक निगल गए तो रोज़ा टूट गया।
★ आसु मुह में चला गया और आप उसे निगल गए। अगर क़तरा दो क़तरा है तो रोज़ा न गया और ज़्यादा था की उस की नमकिनी पुरे मुह में महसूस हुई तो रोज़ा टूट गया। पसीने का भी यही हुक्म है।
★ फुज़ले का मक़ाम बाहर निकल आया तो हुक्म ये है की खूब अच्छी तरह किसी कपड़े वगैरा से पूछ कर उठे ताकि तरी बाक़ी न रहे। अगर कुछ पानी उस पर बाक़ी था और खड़े हो गए जिस की वजह से पानी अन्दर चला गया तो रोज़ा फासिद हो गया। इसी वजह से फुकहाऐ किराम फ़रमाते है की रोज़ादार इस्तिन्ज़ा करने में सास न ले।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 203*
*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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