*जूं ही शैतान आज़ाद होता है !*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
रमज़ान के रुखसत होते ही, शैतान आज़ाद हो जाता और गुनाहो का ज़ोर खूब बढ़ जाता है। और ईद के दिन तो इस क़दर गुनाहो की कसरत हो जाती है की वो सिनेमा घर जो शायद सारे साल में कभी न भरते हो उन पर भी "हाउस फूल" का बोर्ड लग जाता है, पुरे साल में जिन तमाशो के मेले नही लगते वो भी ईद के रोज़ ज़रूर लग जाते है, गोया ऐसा मालुम होता है की एक महीने की क़ैद के सबब शैतान बे हद बिफर चूका है और रमज़ान की सारी कसर वो ईद के रोज़ ही निकाल देना चाहता है। तमाम तफ़रीह गाहे बे पर्दा औरतो और मर्दों से भर जाती है, तमाम डिरामा गाहों में इज़्दीहाम होता है, बल्कि ईद के लिये नई नई फिल्में और जदीद डिरामे लगा दिये जाते है।
आह ! शैतान के हाथो बे शुमार मुसल्मान खिलौना बन कर रह जाते है। मगर ऐसे खुश नसीब मुसल्मान भी होते है जो अल्लाह की याद से गफलत नही करते और शैतान के बहकाने से महफूज़ रहते है।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 64*
*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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रमज़ान के रुखसत होते ही, शैतान आज़ाद हो जाता और गुनाहो का ज़ोर खूब बढ़ जाता है। और ईद के दिन तो इस क़दर गुनाहो की कसरत हो जाती है की वो सिनेमा घर जो शायद सारे साल में कभी न भरते हो उन पर भी "हाउस फूल" का बोर्ड लग जाता है, पुरे साल में जिन तमाशो के मेले नही लगते वो भी ईद के रोज़ ज़रूर लग जाते है, गोया ऐसा मालुम होता है की एक महीने की क़ैद के सबब शैतान बे हद बिफर चूका है और रमज़ान की सारी कसर वो ईद के रोज़ ही निकाल देना चाहता है। तमाम तफ़रीह गाहे बे पर्दा औरतो और मर्दों से भर जाती है, तमाम डिरामा गाहों में इज़्दीहाम होता है, बल्कि ईद के लिये नई नई फिल्में और जदीद डिरामे लगा दिये जाते है।
आह ! शैतान के हाथो बे शुमार मुसल्मान खिलौना बन कर रह जाते है। मगर ऐसे खुश नसीब मुसल्मान भी होते है जो अल्लाह की याद से गफलत नही करते और शैतान के बहकाने से महफूज़ रहते है।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 64*
*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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