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Monday 19 June 2017

*नमाज़ के 7 फराइज़* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

1 तकबीरे तहरीमा, 2 क़याम, 3 किरआत, 4 रूकू, 5 सुजूद, 6 कादए आख़िरा, 7 खुरूजे बिसुन्इही।

*_1 तकबीरे तहरीमा :_*
     दर हक़ीक़त तकबीरे तहरीमा (यानि तकबीरे ऊला) शराइते नमाज़ में से है मगर नमाज़ के अफआल से बिलकुल मिली हुई है इस लिये इसे नमाज़ के फराइज़ में भी शुमार किया गया है।
     मुक्तदि ने तकबीरे तहरीमा का लफ्ज़ "अल्लाह" इमाम के साथ कहा मगर "अक्बर" इमाम से पहले खत्म कर लिया तो नमाज़ न होगी।
     इमाम को रूकू में पाया और तकबीरे तहरिमा कहता हुवा रूकू में गया यानि तकबीर उस वक़्त खत्म हुई की हाथ बढ़ाए तो घुटने तक पहुच जाए, नमाज़ न होगी।
     ऐसे मौक़े पर क़ायदे के मुताबिक़ पहले खड़े खड़े तकबीरे तहरिमा कह लीजिये इस के बाद अल्लाहु अक्बर कहते हुए रूकू कीजिये, इमाम के साथ अगर रूकू में मामूली सी भी शिर्कत हो गई तो रकअत मिल गई अगर आप के रूकू में दाखिल होने से क़ब्ल इमाम खड़ा हो गया तो रकअत न मिली।
     जो शख्स तकबीर के तलफ़्फ़ुज़ पर क़ादिर न हो मसलन गूंगा हो या किसी और वजह से ज़बान बन्द हो गई हो उस पर तलफ़्फ़ुज़ लाज़िम नही, दिल में इरादा काफी है।
     लफ़्ज़े अल्लाह को "आल्लाह" या अक्बर को "आक्बर" या "अकबार" कहा नमाज़ न होगी बल्कि अगर इनके माना फासिद समझ कर जानबुझ कर कहे तो काफ़िर है।
     पहली रकअत का रूकू मिल गया तो तकबीरे ऊला की फ़ज़ीलत पा गया।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 161*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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