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Friday 19 January 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #29

*तज़किरतुल अम्बिया* #29
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत आदम स्फीउल्लाह عليه السلام* 
#23
*शैतान की दरख्वास्त की मंजूरी*
     बोला मुझे फुर्सत दे उस दिन तक कि लोग उठाये जायें, फ़रमाया : तुझे मोहलत है, बोला तो क़सम उसकी कि तूने मुझे गुमराह किया में ज़रूर तेरे सीधे रास्ते पर उनकी ताक में बैठूंगा फिर में ज़रूर उनके पास आऊंगा उनके आगे और उनके पीछे और उनके दाहिने और उनके बाये से और तू उनमे से अक्सर को शुक्रगुज़ार नहीं पायेगा।
     शैतान यह मोहलत लोगों के उठाये जाने तक तलब करना चाहता था ताकि मौत की सख्ती से बच जाये लेकिन शैतान की यह बात तो न मानी गई अलबत्ता पहली मर्तबा सुर फूंकने तक उसको मोहलत दे दी गई।
     सूरए नहल में फ़रमाया : बेशक तुझे एक मुक़र्ररा वक़्त तक यानी पहले नफखा तक मोहलत है, यानी पहली मर्तबा सुर फूंकने पर शैतान भी मर जायेगा। अलबत्ता उस वक़्त तक उसे मोहलत है कि वह चारो तरफ से घेरा डाल कर इंसानों के दिलो में वस्वसे डालता रहे और उन्हें बातिल राह की तरफ मायल करता रहे और कुछ लोगों को इताअत से रोके और गुमराही में डाल सके।
     अगर्चे शैतान इंसानों को शुबहात और बुराइयों में वाकेय करने का पक्का इरादा कर चुका था और उसे उम्मीद भी थी कि वह अपने मक़सद में कामयाब होगा लेकिन फिर भी उसने कहा कि तू उनमें से अक्सर को शुक्रगुज़ार नहीं पायेगा। दूसरे मक़ाम पर शैतान ने नेक लोगों पर अपना दाव चलाने से आजिज़ होने का यूँ ज़िक्र किया।
     बोला ऐ मेरे रब! क़सम उसकी कि तूने मुझे गुमराह किया में उन्हें ज़मीन में भुलावे दूंगा और ज़रूर में उन सब को बे राह करूँगा मगर जो उनमें तेरे चुने हुए बन्दे है।
     शैतान ने कहा कि में लोगों पर बुरे आमाल अच्छे और मुज़य्यन करके पेश करूँगा इस तरह वह मेरे बहकाने से सीधी राह से हट जायेंगे अलबत्ता ऐ अल्लाह तेरे नेक, मुख्लिस और बरगुज़ीदा बन्दों पर मेरे वर्गलाने का कोई असर नहीं होगा।
     अल्लाह ने भी शैतान को बता दिया था। बेशक जो मेरे बन्दे है उन पर तेरा कुछ क़ाबू नहीं।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 41
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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