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Tuesday 23 January 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #31

*तज़किरतुल अम्बिया* #31
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत आदम स्फीउल्लाह عليه السلام* 
#25

*शैतानी वस्वसे के असर होने या न होने के लिहाज़ से पांच किस्मे* #02
*दूसरा गिरोह*
     वह जिस में जिस्मानी इस्तेदाद तो बाक़ी रही मगर शैतान के भटकाने से भटक गया और रूहानी इस्तेदाद को ज़ाया कर दिया, इसलिये रूहानी तक़ाज़ों को बरुए कार लाने से वह महरूम हो गया। मारफते इलाहया तो दरकिनार अल्लाह की हस्ती से भी मुनकिर हो गया, उसने सिर्फ जिस्म और माद्दा को अपना मक़सद समझ लिया और अपनी बकिया इस्तेदाद का रुख माद्दियात ही की तरफ मोड़ दिया, वह अक्लि पेचीदगियों में गुम होकर रह गये, बाज़ ने जदीद इंकिशाफात और माद्दी इजादात में बहुत बड़ी कामयाबी हासिल कर ली, बेशुमार मुफीद चीज़ें ईजाद की। हैरत अंगेज़ आलात ईजाद कर लिये अब उनकी तरक़्क़ी का आखरी मरहला है कि उन्होंने बनी नूअ इंसान की हलाकत के लिये हज़ारों मिल तक मार करने वाले मिसाइल तैयार कर लिये। ज़्यादा तेज़ रफ़्तार हवाई जहाज़ तैयार किये जिनके ज़रिये चंद सेकण्डों में रुए ज़मीन को हलाकत खेज़ मंज़र में तब्दील किया जा सकता है।
     खिलाफ़ते इलाहया की वह इस्तेदाद जो बनी नूअ इंसान की जिस्मानी, रूहानी, दुन्यवी, उखरवी फ़वाइद के लिये थी उसे इन्सानो के हलाक कर देने वाले आलात के लिये वक़्फ़ कर दिया गया।
     अब मामला यहाँ तक पहुंच चुका है कि इन हथियारों को ईजाद करने वाले खुद अपने आपको उन की ज़द में महसूस कर रहे है उन्हें हर वक़्त यह खतरा लाहिक़ है कि हमारे ही ईजाद किये हुए आलात न मालुम किस वक़्त हम पर फट पड़े और कुर्रए अर्ज़ के साथ हम भी लुक़मए अजल बन कर न रह जाएँ।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 41
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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