*ताज़िमे रसूल ﷺ और सहाबए किराम* #9
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
जिस बड़े से महब्बत होती है उसकी अज़मत दिलो दिमाग पर छा जाती है, फिर येह चाहने वाला अपने मज़बूब की ताज़ीम और उसकी अज़मत का कलिमा पढ़ने लगता हैं, इस्लाम ने तो हर बड़े की ताज़ीम का दर्स दिया है।
_*जो हमारे छोटे पर शफ्कत न करे और हमारे बड़े की ताज़ीम न करे तो वो हम में से नहीं।*_
और नबिय्ये आख़िरुज़्ज़मां मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह ﷺ तो सारे बड़ो में सब से बड़े है और इतने बड़े हैं कि आज तक इतना बड़ा पैदा न हुवा और न ही पैदा होगा, इस लिये आप की ताज़ीम भी सब से बढ़ कर होनी चाहिये।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 27
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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