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Tuesday 16 January 2018

*कलिमा ए आग़ाज़*  #3
   بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     सहाबा से ताबेईन रिज़वानुल्लाहे तआला अलैहिम अज़्मइन ने येह गिरां बहा दौलत हासिल की। उन्होंने सहाबा रिज़वानुल्लाहे तआला अलैहिम अज़्मइन की रफ़ाक़त व सोहबत में रह कर इश्के रसूल ﷺ सीखा, दिल में बसाया, सीरत में उतारा, रज़्म ब बज़्म में निखारा, और अपनी दुन्या व आख़िरत को संवारा।
     आज इश्क की येह लौ मध्धम होती जा रही है, और नई नस्ल जाने आलम ﷺ के बजाए कहीं और दिल लगाए बैठी हैं, जैसे इसे खबर ही न हो कि हम क्या है और हमारा मार्कज़े इश्को अकीदत कहां है? अक़्ले बे हुनर ने हमारा करवाने जफ़र ताराज कर रखा है। और अपनी बे बसी व बे कसी का हाल भी नज़र नहीं आता।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 18
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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