*सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ*
*मुक़द्दमा* #7
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
हज़रते बिलाल रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने हुज़ूर ﷺ की सोहबत में पहुंचने के बा'द आपके लिये अपना चैन, चैन न समज़ा अपनी राहत, राहत न समझी बल्कि यह सब कुछ आपने हुज़ूर ﷺ पर कुर्बान कर दिया था। हुज़ूर ﷺ सफ़र में होते तो हज़रते बिलाल रदिअल्लाहो तआला अन्हो आपको हर तरह का आराम पहुंचाने में कोई दकीका फ़िरोगज़ाश्त नहीं करते। धूप का वक्त होता तो हुज़ूर ﷺ के लिये साए का इन्तिज़ाम करते, पड़ाव डाला जाता तो खैमा नस्ब करते, मा'रिको में होते तो येह हुज़ूर ﷺ के मुहाफ़िज़ होते।
जब हज़रते बिलाल रदिअल्लाहो तआला अन्हो के इन्तिकाल का वक्त आ गया तो उनकी ज़ौजा ने कहा وَاحُزۡنَاه (हाए ग़म)। हज़रते बिलाल रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने कहा: नही बल्कि, वाह खुशी! कल हम मुहम्मद ﷺ और उनके असहाब से मिलेंगे और जिस से महब्बत होती है उसकी हर चीज़ से महब्बत होती हैं, उसकी हर एक अदा से महब्बत, उसकी रफ्तार से महब्बत, उसकी गुफ़्तार से महब्बत, उसके लिबास तआम से महब्बत, ग़रज़ उसकी हर चीज़ से महब्बत होती है।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 26
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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