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Tuesday 15 May 2018

*हज़रत हुजैफा रदिअल्लाहो तआला अन्हो की महब्बत और फिदाइय्यत:* # 33
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
       हुज़ूर ﷺ  ने चलते वक्त येह भी इर्शाद फ़रमाया कि कोई हरक़त न करना चुपचाप देख कर चले आओ कि क्या हो रहा है। मैं वहां पहुंचा तो देखा आग जल रही है और लोग उस मे सेंक रहे हैं, एक शख्स आग पर हाथ सेंकता है और कूख पर फेरता है, और हर तरफ से वापस चल दो वापस चलदो की सदाएं आ रही है। हर शख्स अपने कबीले वालों को आवाज दे कर यह कहता है कि वापस चलो और हवा की तेज़ी की वजह से चारो तरफ से पथ्थर उन के खैमों पर बरस रहे थे, खैमों रस्सियां टूटती जाती थी और घोड़े वग़ैरा जानवर हलाक हो रहे थे।
      अबू सुफ़यान जो गोया उस वक्त सारी जमाअतों का सरदार बन रहा था आग पर सेंक रहा था। मेरे दिल मे आया कि मौकअ अच्छा है इस का काम तमाम कर डालूं, तरकश से तीर निकाल कर कमान में रख भी दिया मगर फिर हुज़ूर ﷺ का इर्शाद याद आया कि कोई हरकत न करना, देख कर चले आना , इस लिए मैं ने तीर तरकश में रखा, उस को शुबा हो गया, कहने लगा, तुम में कोई जासूस है, हर शख्स ने अपने बराबर वाले का हाथ पकड़ा, मैं ने जल्दी से एक आदमी का हाथ पकड़ कर पूछा तू कौन है?  उस ने कहा तू  मुझे नही जनता, फुलां हूं।
       मैं वहा से वापस आया, जब आधे रास्ते पर था तो तकरीबन बीस सुवार मुझे इमामा बांधे हुवे मिले, उन्हों ने कहा कि अपने आका ﷺ  से कह देना कि अल्लाह ने दुश्मनों का इन्तिजाम कर दिया, बे फिक्र रहें।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 104
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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