*अहकामे रोज़ा* #13
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_रोज़े के तीन दरजे_*
रोज़े की अगर्चे ज़ाहिरी शर्त ये है की रोज़ादार क़सदन खाने पिने और जीमाअ से बाज़ रहे। ता हम रोज़े के कुछ बातिनी आदाब भी है जिन का जानना जरूरी है ताकि हक़ीक़ी मानो में हम रोज़े की बरकतें हासिल कर सके।
*_(1) अवाम का रोज़ा_*
रोज़ा के लुग्वी माना है "रुकना" लिहाज़ा शरीअत की इस्तिलाह में सुब्हे सादिक़ से ले कर गुरुबे आफताब तक क़सदन खाने पिने और जिमाअ से "रुके रहने" को रोज़ा कहते है और येही अवाम यानी आम लोगो का रोज़ा है।
*_(2) खवास का रोज़ा_*
खाने पीने और जिमाअ से रुके रहने के साथ साथ जिस्म के तमाम आज़ा को बुराइयो से "रोकना" खवास यानी ख़ास लोगो का रोज़ा है।
*_(3) अखस्सुल खवास का रोज़ा_*
अपने आप को तर उमूर से "रोक" कर सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की तरफ मुतवज्जेह होना, ये अखस्सुल खवास यानी खासुल ख़ास लोगो का रोज़ा है।
ज़रूरत इस अम्र की है की खाने पीने वगैरा से "रुके रहने" के साथ साथ अपने तमाम तर आज़ाए बदन को भी रोज़े का पाबन्द बनाया जाए।
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान, 121*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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