*हज़रते अम्मार और उनके वालिदैन* : #39
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
जब हुज़ूर ﷺ हिजरत फरमा कर मदीना तशरीफ़ ले गए तो हुज़ूर ﷺ से अम्मार रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने अर्ज़ किया कि हुजूर ﷺ के लिये एक साया दार मकान बनाना चाहिये जिस में तशरीफ़ रखा करें और दोपहर को आराम लिया करें और नमाज़ भी साए में पढ़ लिया करें, तो कुबा में हज़रते अम्मार रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने अव्वल पथ्थर जमा किये और फिर मस्जिद बनाई। लड़ाई में निहायत जोश से शरीक होते थे।
एक मरतबा वज्द में आ कर कहने लगे: अब जा कर दोस्तों से मिलेंगे, मुहम्मदﷺ और उन की जमाअत से मिलेंगे। इतने में प्यास लगी और पानी किसी से मांगा उस ने दूध सामने किया उस को पिया और पी कर कहने लगे: मैं ने हुज़ूर ﷺ से सुना कि तू दुन्या में सब से आख़िरी चीज़ दूध पियेगा, इसके बाद शहीद हो गए, उस वक्त चैरानवे बरस की उम्र थी। बा'ज़ ने एक आधा साल कम बतलाई है।
उनकी वालिदा हज़रते सुमैया बिन्ते खुब्बात रदिअल्लाहो तआला अन्हा मज़लूमाना शहादत के इलावा और भी सख्तियां झेल चुकी है, उन की गर्मी के वक्त सख्त धूप में कंकरियों पर डाला जाता , लोहे की ज़िरह पहना कर खड़ा किया जाता ताकि धूप की गर्मी से लोहा तपने लगे। हुजूर ﷺ का उधर से गुज़र होता तो सब्र की तलकीन और जन्नत का वादा फ़रमाते यहां तक कि सब से बड़े दुश्मने इस्लाम अबू जहल के हाथों उन की शहादत हुई।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 113
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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