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Thursday 24 May 2018

*अहकामे रोज़ा* #18
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_सहरी करना सुन्नत है_*
     अल्लाह का करोड़ हा एहसान की उस ने हमे रोज़े जेसी अज़ीमुश्शान नेअमत अता फ़रमाई और साथ ही कुव्वत के लिये सहरी की न सिर्फ इजाज़त फ़रमाई बल्कि इस में हमारे लिये ढेरो षवाब भी रख दिया।
     हमारे प्यारे आक़ा صلى الله عليه وسلم अगर्चे खाने, पीने के हमारी तरह मोहताज नही। ता हम हमारे प्यारे आक़ा صلى الله عليه وسلم हम गुलामो की खातिर सहरी फ़रमाया करते ताकि महब्बत वाले गुलाम अपने आक़ा की सुन्नत समज कर सहरी कर लिया करे। यु उन्हें दिन के वक़्त रोज़े में कुव्वत के साथ साथ सुन्नत पर अमल करने का षवाब भी हाथ आए।
     बाज़ इस्लामी भाइयो को देखा गया है की कभी सहरी करने से रह जाते है तो फिख्रिया बाते बनाते है और कहते है, हमने तो सहरी के बगैर ही रोज़ा रख लिया। सहरी के बगैर रोज़ा रखना कोई कमाल तो नही जिस पर फख्र किया जा रहा है। बल्कि सहरी की सुन्नत छूटने पर नदामत होनी चाहिये, अफ़सोस करना चाहिये की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم की एक अज़ीम सुन्नत छूट गई।

*_हज़ार साल की इबादत से बेहतर_*
     हज़रते शैख़ शरफुद्दीन अल मारूफ़ बाबा बुलबुल शाह رحمة الله عليه फ़रमाते है, अल्लाह ने मुझे अपनी रहमत से इतनी ताक़त बख्शी है की में बगैर खाए, पिये और बगैर साज़ो सामान के अपनी ज़िन्दगी गुज़ार सकता हु। मगर चुकी ये उमूर हुज़ूर صلى الله عليه وسلم की सुन्नत नही है इस लिये में इन से बचत हु, _मेरे नज़दीक सुन्नत की पैरवी हज़ार साल की इबादत से बेहतर है।_
*✍🏼फ़ज़ाइले रमज़ान*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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