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Monday 9 July 2018

*ज़िकरुल्लाह की फ़ज़ीलत* #02


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     हज़रत ज़ाबिर बिन अब्दुल्लाह رضي الله عنه फ़रमाते है कि हम मस्जिदे नबवी में बेठे हुए थे कि हुज़ूर ﷺ हमारे पास तशरीफ़ लाए और फ़रमाया: अल्लाह के कुछ फ़रिश्ते ज़मीन पर घूम फिर कर ज़िक्र की मजलिसों में ठहरते है लिहाज़ा जब तुम जन्नत की क्यारियां देखो तो उन में से कुछ फूल चुन लिया करो। सहाबा ने अर्ज़ की या रसूलुल्लाह ﷺ जन्नत की क्यारियां क्या है? फ़रमाया: ज़िक्र की मजालिस, सुबह व शाम अल्लाह के ज़िक्र में मश्गुल रहो और जो शख्स अल्लाह के नज़्दीक अपना मर्तबा जानना चाहे तो वो देखे कि उस के नज़्दीक अल्लाह का मर्तबा क्या है क्योंकि अल्लाह बन्दे को उसी मर्तबे में रखता है जितनी बन्दे ने अल्लाह की याद को अपने दिल में जगह दी।
*✍🏼आंसुओ का दरिया* 24
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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