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Wednesday 11 July 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #186


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*अज़िज़े मिस्र की ज़ौजा की मुराद का पूरा होना*
     बादशाह ने पहले वज़ीरे आज़म यानी अज़िज़े मिस्र (उसका नाम क़तफिर था) को मअजुल कर दिया था बाद में वह जल्द ही फौत हो गया था उसकी ज़ौजा जिसने युसूफ عليه السلام को अपनी तरफ माइल करने की कोशिश कि थी लेकिन वह नाकाम रही। आप के क़ैदख़ाने से निकलने पर उसने भी खुले दिल से अपनी गलती का एतराफ़ कर लिया था आप को सच्चा कहने लगी थी।
     अज़िज़े मिस्र की मौत के बाद बादशाह ने उस औरत का निकाह आप عليه السلام से कर दिया आपने मुलाक़ात पर उसे यह कहा क्या ये बेहतर नहीं उससे जो तू मुतालबा कर रही थी?
     याद रहे अज़िज़े मिस्र चुकी न मर्द था इसलिये वह अभी तक बाकोरा थी मुहब्बत उसे सिर्फ आप عليه السلام से थी वह कोई बदकार नहीं थी। उस औरत से आपके दो बेटे पैदा हुए एक का नाम ईफराइम ओर दूसरे का नाम मइशा था।
*✍तज़किरतुल अम्बिया* 148
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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