بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*गल्ला लेने के लिये यूसुफ عليه السلام के भाइयों का जाना*
कनआन का इलाक़ा भी उस क़हत की ज़द में था और लोगों की तरह याकूब عليه السلام के फ़रज़न्दो ने भी बार बरदारी के मवेशी लिये ओर मिस्र के रुख किया क्योंकि गल्ला की तक़सीम का सब काम यूसुफ عليه السلام की निगरानी में हो रहा था इसलिये वह आप की खिदमत में हाज़िर हुए और अपनी मजबूरियों का इज़हार करके गल्ला के लिये दरख्वास्त की। आप عليه السلام से उनकी मुलाक़ात अगरचे बहुत सालों बाद हुई थी लेकिन आपने देखते ही अपने भाइयों को पहचान लिया मगर वह आप को न पहचान सके और बेचारे पहचानते भी तो आखिर क्यों? उनके गुमान में भी ये नही आ सकता था कि शाहाना लिबास से मलबुस ज़र निगार कुर्सी पर बैठा हुआ जिसके हुक्म की तामील के लिये सैंकड़ों हज़ारो मुलाज़िम दस्तबस्ता खड़े हैं ये वो यूसुफ है जिसको उन्होंने एक कुए में फेंका था। और फिर सिर्फ बिस खोटे दिरहमों के बदले में क़ाफ़िला के हाथ फरोख्त कर दिया था।
आप عليه السلام ने अपने जज़्बात को बेक़ाबू न होने दिया, एक अजनबी की हैसिय्यत से उनके घर के हालात पूछे ओर उन्ही की जानिब से ये भी पता चल गया कि उनका एक ओर भाई है जिसे वह घर छोड़ आये हैं।
आपको अभी ज़ाहिर नहीं करना था जब अल्लाह का हुक्म होना था उसी वक़्त ज़ाहिर करना था इसलिये अभी अजनबी की सूरत में तमाम कलाम हो रहा था। उन्हेंनो अपने वलीद ओर भाई का हिस्सा भी तलब किया था क्योंकि आप عليه السلام एक शख्स को एक ऊंट का बोझ गल्ला ही देते थे। आपने उनसे पूछा कि तुम्हारे वालिद ओर भाई के न आने की वजह क्या है? उन्होंने बताया कि हमारे बाप बूढ़े है वह तो आने की ताक़त ही नहीं रखते अलबत्ता छोटा भाई बाप की खिदमत गुज़ारी के लिये घर रह गया है।
आपने फ़रमाया इस मर्तबा में उनका गला तुम्हे दे रहा हूँ लेकिन आइंदा तुम आने भाई को भी साथ लाना, क्या तुम देखते नहीं हो में कितना शफ़ीक़ ओर मेहरबान आदिल हु? की पैमाने भर भर कर देता हूँ और कितना बड़ा मेहमान नवाज़ हूं लेकिन यह भी ख्याल रखना की अगर आइंदा तुम आने भाई को साथ न लाये तो तुम्हे गल्ला नहीं मिलेगा।
*✍तज़किरतुल अम्बिया* 150
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Wednesday 11 July 2018
*तज़किरतुल अम्बिया* #187
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