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Thursday 12 July 2018

*नूर का चराग*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
     मरवी है कि जब बन्दा अल्लाह की बारगाह में कामिल तौबा करता है और रातइ अपने रब से मुनाजात करता है तो फ़रिश्ते नूर का चराग रोशन कर के ज़मीन व अस्मान के दर्मियान लटका देते है। दीगर फ़रिश्ते पूछते है ये क्या है? तो उन से कहा जाता है कि फूलां बिन फूलां ने आज की रात अपने रब के साथ राज़ी हो कर गुज़ारी है।

*जिस्मानी आज़ा की गुफ्तगू*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ: जब बन्दा रात में इबादत के लिये खड़ा होता है तो उस के आज़ा खुश हो कर एक दूसरे को पुकारते है कि हमारा रफ़ीक़ अल्लाह की बन्दगी के लिये खड़ा हुवा है।
*आंसुओ का दरिया* 32
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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