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Sunday 1 July 2018

*पंचगाना नमाज़ों की बरकत*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     पंच गाना नमाज़ों के औक़ात मुक़र्रर करने का सबब ये है :
     ज़ोहर के वक़्त जहन्नम भड़काई जाती है तो जिसने ज़ोहर की नमाज़ पढ़ी वो गुनाहों से ऐसा पाक हो गया जेसे अभी ही पैदा हुआ है।
     अस्र के वक़्त हज़रत आदमعليه السلام ने ममनुआ दरख्त से कुछ खा लिया था (यानी उस दरख्त से जिससे आपको खाने से मना किया गया था) तो जो अस्र की नमाज़ अदा करेगा उसे दोज़ख से रिहाई हासिल होगी।
     मगरिब के वक़्त अल्लाह ने हज़रत आदम عليه السلام की तौबा क़ुबूल फ़रमाई थी तो जो मगरिब की नमाज़ पढ़कर अल्लाह से सवाल करेगा उसे पूरा किया जाएगा।
     ईशा और फज्र का वक़्त  क़ब्र और क़यामत की तारीकी से मुशाबहत (मेल) रखता है। तो जो ईशा की नमाज़ पढ़ेगा, अल्लाह उसे क़ब्र और क़यामत में अनवारो तजल्लियात से नवाज़ेग और जिसने फज्र अदा की अल्लाह उसे दोज़ख और निफ़ाक़ से महफूज़ रखेगा। (आमीन)
*✍🏼नुज़हतुल मजालिस*
*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 24
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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