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Thursday 2 August 2018

*वीराने में मुलाक़ात* #05


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने घर ले गया जब वो मकान के दरवाज़े पर पहुंचा तो आहिस्ता से दस्तक दी। एक बूढ़ी औरत बाहर निकली, जब उसने मुझे देखा तो बोली: मेरे हबीब और मेरी आंखों की ठंडक की ज़ियारत से मुशर्रफ होने वाले को खुश आमदीद। मेने पूछा: आप को किसने बताया कि में ने उन्हें देख है? वो कहने लगी: उसी ने जिसने ये बताया कि तुम ने उसे दफन किया है और तुम्हारा कफ़न तुम्हे वापस लौटा दिया जाएगा। ऐ ज़ुन्नुन! मुझे अपने रब की इज़्ज़तो जलाल की क़सम! अल्लाह मेरे बेटे के बोसीदा लिबास पर फरिश्तों के सामने फख्र फ़रमा रहा है। ऐ ज़ुन्नुन! ये तो बताओ कि तुम ने मेरे बेटे को कैसे रुखसत किया था? मेने कहा मेने उसे बे आबो गियाह जंगल मे रेत और पथ्थरों के दरमियान तन्हा छोड़ दिया था, उसने अपने परवरदिगार से जो उम्मीद बांध रखी थी वो पूरी हो गई।

     जब उस बुढ़िया ने ये बात सुनी तो उस नौ जवान को आने सीने से चिमटा लिया और वो मेरी नज़रों से ओझल हो गए। में उन्हें घर के गोशों में तलाश करता रहा मगर वो न मिले। फिर मेने हातीफ़े गायब से आवाज़ सुनी, ऐ ज़ुन्नुन! खुद को मत थकाओ। मेने पूछा वो कहा चले गए? जवाब मिला शुहदा मुश्रिकिन की तलवारों से मरते हैं जब कि ये मूहिब्बीन रब्बुल आलमीन के शौक़ में मरते हैं तो उन्हें नूर की सवारियों पर बिठा कर इज़्ज़त वाले बादशाह की बारगाह में ले जाया जाता है।

     ज़ुन्नुन رحمة الله عليه फरमाते है: फिर मुझे मेरा चमड़े का गुमशुदा थैला भी मिल गया और जिस तरह का कफ़न में ने उस बुज़ुर्ग को पहनाया था वो भी उसी तरह लिपटा हुवा मिल गया जैसे पहले था।

*अल्लाह की उनपर रहमत हो और उनके सड़के हमारी मगफिरत हो* اٰمِيْن بِـجٙـاهِ النّٙـبِـىِّ الْاٙ مِيْن

*✍आंसुओ का दरिया* 59

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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