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Wednesday 1 August 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #206


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*याक़ूब عليه السلام और आपके खानदान की मिस्र में आमद*

     युसूफ عليه السلام ने अपने वालिद को उनके अहल व औलाद के बुलाने के लिये अपने भाइयों के साथ 200 सवारियां और कसीर सामान भेजा था, याक़ूब عليه السلام ने मिस्र के इरादा फ़रमाया और अपने अहल को जमा किया। मशहूर क़ौल के मुताबिक़ 72 या 73 मर्द और औरतों की तादाद थी।

     याक़ूब عليه السلام मिस्र के क़रीब पहुंचे तो युसूफ عليه السلام ने मिस्र के बादशाह को अपने वलीद की तशरीफ़ आवरी की इत्तेला दी और 4000 लश्करी और बहुत से मिस्री सवारों को हमराह लेकर आप अपने वलीद के इस्तक़बाल के लिये सदहा रेशमी फरेरे उड़ाते हुए कतारे बांधे हुए रवाना हुए।

     याक़ूब عليه السلام अपने बेटे यहूदा का सहारा लिये तशरीफ़ ला रहे थे। जब आपकी नज़र लश्कर पर पड़ी तो आपने फ़रमाया ऐ यहूदा क्या यह फ़िरऔन मिस्र है (मिस्र के बादशाह का लक़ब फ़िरऔन था) जिसका लश्कर इस शान से आ रहा है? अर्ज़ किया नहीं ये तो आपके फ़रज़न्द युसूफ आपके इस्तिक़बाल के लिये आ रहे हैं।

     ख्याल रहे कि युसूफ عليه السلام उस वक़्त अज़िज़े मिस्र यानी वज़ीरे आज़म थे।

     जब दोनों हज़रात عليه السلام एक दूसरे के क़रीब हुए तो युसूफ عليه السلام ने सलाम करने का इरादा ज़ाहिर किया तो जिब्राइल ने अर्ज़ किया आप तवक़्क़ूफ़ कीजिये वालिद को पहले सलाम करने का मौक़ा दें चुनान्चे याक़ूब عليه السلام ने फ़रमाया: ऐ गम व अन्दोह के दूर करने वाले तुम पर सलाम।

     याक़ूब عليه السلام के पहले सलाम करने में हिकमत यह थी कि वाज़ेह हो जाए कि याक़ूब عليه السلام अल्लाह के हुजूर बनिस्बते युसूफ عليه السلام से ज़्यादा मुकर्रम है।

     एक दूसरे से मुलाक़ात हुई तो खुशी का यह आलम था कि याक़ूब عليه السلام ने युसूफ عليه السلام को गले से लगाया और उनका बोसा लिया।

*✍तज़किरतुल अम्बिया* 167

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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