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Friday 3 August 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-3, आयत, ②⑨*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     वही है जिसने तुम्हारे लिये बनाया जो कुछ ज़मीन में है (20) फिर आसमान की तरफ़ इस्तिवा (क़सद, इरादा) फ़रमाया तो ठीक सात आसमान बनाए और वह सब कुछ जानता हैं (21)


*तफ़सीर*

     (20) यानी खानें, सब्ज़े, जानवर, दरिया, पहाड जो कुछ ज़मीन में है सब अल्लाह तआला ने तुम्हारे दीनी और दुनियावी नफ़े के लिये बनाए. दीनी नफ़ा इस तरह कि ज़मीन के अजायबात देखकर तुम्हें अल्लाह तआला की हिकमत और कुदरत की पहचान हो और दुनियावी मुनाफ़ा यह कि खाओ पियो, आराम करो, अपने कामों में लाओ तो इन नेअमतो के बावुजूद तुम किस तरह कुफ़्र करोगे. कर्ख़ी और अबूबक्र राज़ी वग़ैरह ने “ख़लक़ा लकुम” (तुम्हारे लिये बनाया) को फ़ायदा पहुंचाने वाली चीज़ों की मूल वैघता (मुबाहुल अस्ल) की दलील ठहराया है.

     (21) यानी यह सारी चीज़ें पैदा करना और बनाना अल्लाह तआला के उस असीम इल्म की दलील है जो सारी चीज़ों को घेरे हुए है, क्योंकि ऐसी सृष्टि का पैदा करना, उसकी एक-एक चीज़ की जानकारी के बिना मुमकिन नहीं. मरने के बाद ज़िन्दा होना काफ़िर लोग असम्भव मानते थे. इन आयतों में उनकी झूठी मान्यता पर मज़बूत दलील क़ायम फ़रमादी कि जब अल्लाह तआला क़ुदरत वाला (सक्षम) और जानकार है और शरीर के तत्व जमा होने और जीवन की योग्यता भी रखते हैं तो मौत के बाद ज़िन्दगी कैसे असंभव हो सकती है, आसमान और ज़मीन की पैदाइश के बाद अल्लाह तआला ने आसमान में फरिश्तों को और ज़मीन में जिन्नों को सुकूनत दी. जिन्नों ने फ़साद फैलाया तो फ़रिश्तो की एक जमाअत भेजी जिसने उन्हें पहाडों और जज़ीरों में निकाल भगाया.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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