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Tuesday 7 August 2018

आख़िरत का खौफ*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     हज़रते मुहम्मद बिन क़ीदामा رحمة الله عليه फरमाते है कि हज़रते बिशर बिन हारिस رحمة الله عليه की एक मदहोश शख्स से मुलाक़ात हुई तो वो उन्हें चूमने लगा और कहने लगा: ऐ अबू नस्र! मेरे सरदार! हज़रत बिशर رحمة الله عليه ने उसे खुद से अलग न फ़रमाया। जब आप  लौटने लगे तो आप का चेहरा आंसुओं से तर हो गया और आप ने फ़रमाया: ये वो शख्स है जो अपने गुमान के मुताबिक़ एक आदमी से उस की नेकी की वजह से महब्बत करता है शायद ये महब्बत करने वाला तो नजात पा जाए जब कि महबूब (यानी में) नहीं जानता कि इस का क्या हाल होगा। फिर आप फल फ़रोशों के पास रुक कर फल देखने लगे में ने पूछा शायद आप को फलों की ख्वाहिश है? फ़रमाया: नहीं बल्कि में तो ये देख रहा हूँ कि जब अल्लाह अपने ना फरमान को ये नेमतें खिला रहा है तो अपने फरमा बरदार को क्या कुछ नहीं खिलाएगा और जन्नत में उसे क्या कुछ खिलाएगा पिलाएगा।

     इस्लामी भाइयों! हाए अफसोस! ऐ गाफिल! कब तक सोता रहेगा? क्या गुज़रने वाले दिन और रातें तुझे नहीं जगातीं? महल्लात और खैमों के मकीन कहाँ गए? खुदा की क़सम! मौत का प्याला उन पर घूम गया और मौत ने उन्हें इस तरह उठा लिया जिस तरह कबूतर गंदुम का दाना उठाता है। मख़लूक़ को दुन्या में दवाम नहीं, सहिफे लपेट दिये गए और क़लम खुश्क हो गए।

*✍आंसुओं का दरिया* 69

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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