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Friday 28 October 2016

*सिरते मुस्तफा*
*_दसवा बाबा_* #05

*_मुनाफ़िक़ीन की शरारत_* #02
     जब अब्दुल्लाह बिन उबय्य की बेहूदा बात हज़रते उमरرضي الله تعالي عنه के कान में पड़ी तो वो इस क़दर तैश में आ गए की नगी तलवार ले कर आए और अर्ज़ किया या रसूलल्लाहﷺ ! मुझे इजाज़त दीजिये की में इस मुनाफ़िक़ की गर्दन उड़ा दू।
     हुज़ूरﷺ ने निहायत नरमी के साथ इरशाद फ़रमाया की ऐ उमर ! खबरदार ऐसा न करो, वरना कुफ़्फ़ार में ये खबर फेल जाएगी की मुहम्मद अपने साथियो को भी क़त्ल करने लगे है। ये सुन कर हज़रते उमरرضي الله تعالي عنه बिलकुल ही खामोश हो गए.
     मगर इस खबर का पुरे लश्कर में चर्चा हो गया, ये अज़िब बात है की अब्दुल्लाह इब्ने उबय्य जितना बड़ा इस्लाम और बानिये इस्लाम का दुश्मन था इस से कहि ज़्यादा बढ़ कर उस के बेटे इस्लाम के सच्चे शैदाई और हुज़ूरﷺ के जानिशार सहाबी थे, उनका नाम भी अब्दुल्लाह था, जब अपने बाप की बकवास का पता चला तो वो गैज़ो गज़ब में भरे हुए बारगाहे रिसालत में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया की या रसुलल्लाहﷺ ! अगर आप मेरे बाप के क़त्ल को पसन्द फरमाते हो तो मेरी तमन्ना है की किसी दूसरे के बजाए में खुद अपनी तलवार से अपने बाप का सर काट कर आप के क़दमो में डाल दू।
     आपﷺ ने इरशाद फ़रमाया की नही हरगिज़ नही, में तुम्हारे बाप के साथ कभी भी कोई बुरा सुलूक नही करूँगा।
     और एक रिवायत में ये भी है की मदीने के क़रीब वादिये अक़ीक़ में वो अपने बाप का रास्ता रोक कर खड़े हो गए और कहा की तुम ने मुहाजिरिन और रसूलल्लाहﷺ को ज़लील कहा है खुदा की क़सम ! में उस वक़्त तक तुमको मदीने में दाखिल नही होने दूंगा जब तक रसूलल्लाहﷺ इजाज़त अता न फरमाए और जब तक तुम अपनी ज़बान से ये न कहो की हुज़ूरﷺ तमाम औलादे आदम में सबसे ज़्यादा इज़्ज़त वाले है और तुम सारे जहान वालो में सबसे ज़्यादा ज़लील हो।
     तमाम लोग इन्तिहाई हैरत और ताज्जुब के साथ ये मन्ज़र देख रहे थे, जब हुज़ूरﷺ वहा पहुचे और ये देखा की बेटा बाप का रस्ता तोके हुए खड़ा है और अब्दुल्लाह बिन उबय्य ज़ोर ज़ोर से कह रहा है की "में सबसे ज़्यादा ज़लील हु और हुज़ूर सबसे ज़्यादा इज़्ज़त दार है। आपﷺ ने ये देखते ही हुक्म दिया की इस का रास्ता छोड़ दो ताकि ये मदीने में दाखिल हो जाए।
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 308*
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