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Thursday 27 October 2016

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #61
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ⑥⑧_*
बोले अपने रब से दुआ कीजिये कि वह हमें बता दे गाय कैसी? कहा, वह फ़रमाता है कि वह एक गाय है न बूढ़ी और न ऊसर, बल्कि उन दोनों के बीच में, तो करो जिसका तुम्हें हुक्म होता है

*_सूरतुल बक़रह, आयत ⑥⑨_*
बोले अपने रब से दुआ कीजिये हमें बता दे उसका रंग क्या है? कहा वह फ़रमाता है वह एक पीली गाय है जिसकी रंगत डहडहाती, देखने वालों को ख़ुशी देती

*_सूरतुल बक़रह, आयत ⑦ⓞ_*
 बोले अपने रब से दुआ कीजिये कि हमारे लिये साफ़ बयान करदे वह गाय कैसी है? बेशक गायों में हमको शुबह पड़ गया और अल्लाह चाहे तो हम राह पा जाएंगे

*तफ़सीर*
     हुज़ूर सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया, अगर वो इन्शाअल्लाह न कहते, हरग़िज़ वह गाय न पाते. हर नेक काम में इन्शाअल्लाह कहना बरकत का कारण है.
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