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Sunday 16 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #34
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_* #14
     फरजंदाने इमामे हसनرضي الله تعالي عنه के महारबा ने दुश्मन के होश उड़ा दिए, इब्ने साद ने ऐतिराफ किया की अगर फरेब कारियों से काम न लिया जाता या इन हज़रात पर पानी बंद न किया जाता तो अहले बैत का एक एक नौजवान लश्कर को बर्बाद कर डालता, जब वो मुक़ाबले के लिये उठते थे तो मालुम होता था की क़हरे इलाही आ रहा है, उनका एक एक हुनर-वर सफ शिकनी व मुबारीज़ फिगनि में फर्द था।
     अल हासिल, अहले बैत के नौ निहालो और नाज़ के पालो ने मैदाने कर्बला में हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه पर अपनी जाने फ़िदा की और तिरो सना की बारिश में हक़ से मुह न मोड़ा, गर्दन कटवाई, खून बहाए, जाने दी मगर क्लिमाए नाहक़ ज़बान पर न आने दिया। बारी बारी तमाम सहजादे शहीद होते चले गए। अब हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه के सामने उनके नुरे नज़र हज़रते अली अकबर हाज़िर है, मैदान की इजाज़त चाहते है, मिन्नतों समाजत हो रही है, आज़िब वक़्त है, चाहित बेटा शफ़ीक़ बाप से गर्दन कटवाने की इजाज़त चाहता है और इस पर इसरार करता है जिस की कोई हट, कोई ज़िद ऐसी नथी जो पूरी न की जाती, हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه ने इजाज़त देनी पड़ी। आप ने इस नौजवाने जमील को खुद घोड़े पर सुवार किया। उस वक़्त अहले बैत की बीवियों बच्चों पर क्या गुज़र रही थी जिनका तमाम कुम्बा व क़बीला शहीद हो चुके थे और एक जगमगाता हुवा चराग भी आखरी सलाम कर रहा था। इन तमाम को अहले बैत ने रिज़ाए हक़ के लिये बड़े इस्तिक़्लाल के साथ बर्दाश्त किया और ये इन्ही का हौसला था।
    हज़रते अली अकबरرضي الله تعالي عنه ख़ैमे से रुख्सत हो कर मैदाने कारज़ार की तरफ तशरीफ़ फरमा हुए, बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله

*✍🏽सवानहे कर्बला, 153*
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