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Wednesday 12 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #23
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_* #03
     हाथ उठा कर इमामे हुसैनرضي الله تعالي عنه ने बारगाहे इलाही में अर्ज़ किया या रब अज़ाबे नार से क़ब्ल इस गुस्ताख को दुन्या में आतशे अज़ाब में मुब्तला कर। इमामرضي الله تعالي عنه का हाथ उठना ही था की उस के घोड़े का पाउ एक सुराख में गया और वो घोड़े से गिरा और उसका पाउ रिकाब में उलझा और घोडा उसे ले कर भागा और आग की खन्दक में डाल दिया।
     हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه ने सजदऐ शुक्र अदा किया और अपने रब की हम्दो षना की और फ़रमाया : ऐ परवरदिगार तेरा शुक्र है की तूने अहले बैते रिसालत के बदबख्त को सज़ा दी। हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه की ज़बान से ये कलिमा सुन कर सफे आदा में से एक और बेबाक ने कहा की आप को मेगम्बरे खुदा से क्या निस्बत ? ये कलिमा तो इमाम के लिये बहुत तकलीफ देह था। आप ने उस के लिये भी बद दुआ फ़रमाई और अर्ज़ किया या रब इस बदज़बान को फौरी अज़ाब में गिरफ्तार कर। इमामرضي الله تعالي عنه ने ये दुआ फ़रमाई और उस को क़ज़ाए हाजत की ज़रूरत पेश आई, घोड़े से उतर कर एक तरफ भागा और किसी जगह क़ज़ाए हाजत के लिये बरहना हो कर बेठा। एक सियाह बिच्छु ने डंग मारा तो नजासत आलूदा तड़पता फिरता था। इस रुस्वाई के साथ तमाम लश्कर के सामने उस नापाक की जान निकली मगर सख्त दिलाने बे हमिय्यत को गैरत न हुई।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 139*
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