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Wednesday 12 October 2016

*सवानहे कर्बला​* #25
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शहादत के वाक़ीआत_* #05
     हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه और इमाम के खानदान के नौनिहाल शैके जाबाज़ी में सरशार थे। उन्हों ने मैदान में जाना चाहा लेकिन क़रीब के गाउ वाले जहा इस हंगामे की खबर पहुची थी वहा के मुसलमान बे ताब हो कर हाज़िरे खिदमत हो गए थे उन्होंने इसरार किये, हज़रत के दरपे हो गए और किसी तरह राज़ी न हुए की जब तक इन में से एक भी ज़िन्दा है ख़ानदाने अहले बैत का कोई बच्चा भी मैदान में जाए।
     हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه को इन इख्लास केशो की सरफरोशाना इलतीजाए मंजूर फ़रमानी पड़ी और उन्हों ने मैदान में पहुच कर दुश्मनाने अहले बैत से मुक़ाबले किये और अपनी बहादुरी के सिक्के जमा दिए और एक एक ने आदा की कशिर तादाद को हल्का कर के राहे जन्नत इख़्तियार करना शुरू की। इस तेह बहुत से जांबाज़ फरज़न्दे रसूल पर अपनी जाने निषार कर गए।
     इस क़बीले में वहब इब्ने अब्दुल्लाह कल्बि जिनकी शादी को सिर्फ 17 दिन हुए थे की आप के पास आपकी वालिदा पहुची जो एक बेवा औरत थी और जिन की सारी कमाई और घर का चराग यही एक नौजवान बेटा था। उस माँ ने प्यारे बेटे के गले में बहे डाल कर रोना शुरू कर दिया। बेटा हैरत में आ कर माँ से दरयाफ़्त करता है की रंजो मलाल का सबब क्या है ? में ने कभी आप की नाफ़रमानी न की न आइन्दा कर सकता हु। आप के दिल को क्या सदमा पंहुचा और आप को किस गम ने रुलाया ? अपने बेटे की ये गुफ्तगू सुनकर माँ और चीख मार कर रोने लगी और कहने लगी : मेने अपनी जान धूल धुला कर तेरी जवानी की बहार पाई है, तू जी मेरे दिल का क़रार है तू ही मेरी जान का चैन है, एक दम तेरी जुदाई मुझ से बर्दाश्त नही हो सकती।
     मेने तुजे अपना खूने जिगर पिलाया है। आज मुस्तफा का जिगर गोशा, खातुने जन्नत का नौनिहाल दश्ते कर्बला में मुब्तलाए मुसीबत है, प्यारे बेटे ! क्या तुझ से हो सकता है की तू अपनी जान उस के क़दमो पर कुर्बान कर डाले। इस बेगैरत ज़िन्दगी पर हजार तुफ़ाने है की हम ज़िन्दा रहे और हुज़ूर का लाडला ज़ुल्मो सितम के साथ शहीद किया जाए, अगर तुझे मेरी महब्बते कुछ याद हो और तेरी परवरिश में जो मेहनते मेने उठाई है इन को तू भूला न हो तो तू हुसैन के सर पर सदक़ा हो जा।

वहब ने जो कहा वो अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏽सवानहे कर्बला, 142*
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