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Thursday 27 October 2016

*मुर्दो की चीखो पुकार बेकार है*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     सिर्फ और सिर्फ दुन्या के धन की फिरावनी की धुन में मगन रहने वालो, हुसुले माल की खातिर दुन्या के मुख़्तलिफ़ ममालिक में भटकते फिरने वालो मगर मस्जिद की हाजिर से कतराने वालो, अपने मकानात के डेकोरेशन पर पानी की तरह पैसा बहाने वालो मगर राहे खुदा में खर्च करने से जी चुराने वालो, दौलत में इजाफे के लिये मुख़्तलिफ़ गुर अपनाने वालो मगर नेकियों में ब-र-कत के मुआ-मले में बे नियाज रहने वालो को ख्वाबे गफलत से बेदार हो कर झटपट तौबा कर लेनी चाहिये कही ऐसा न हो की मौत अचानक आ कर रोशनियों से जग-मगाते कमरे में फोम के आराम गद्दे से मुज्य्यन् खूब सूरत पलंग से उठा कर कीड़े मकोड़े से उभरती हुई खौफनाक अँधेरी कब्र में सुला दे और वोही चिल्लाते रह जाए की या अल्लाह ! मुजे दुबारा दुन्या में भेज दे ताकि वहा जा कर में तेरी इबादत करू । मौला ! दोबारा दुन्या में पहुंचा दे मै वा'दा करता हूं अपना सारा माल तेरी राह में लूटा दूंगा..... पांचों नमाजे अदा करूँगा, तहज्जुद भी कभी नहीं छोड़ूंगा बल्कि मस्जिद ही में पड़ा रहूँगा.... दाढ़ी तो दाढ़ी जुल्फ़े भी बढ़ा लूंगा.... सर पर हर वक़्त इमामा शरीफ का ताज सजाए रहूँगा.... या अल्लाह ! मुझे वापस भेज दे...एक बार फिर मोहलत दे दे दुन्या से फैशन का खातिमा कर के हर तरफ सुन्नतो का परचम लहरा दूंगा... परवर दिगार ! सिर्फ और सिर्फ एक बार मोहलत अता फरमा दे ताकि मै खूब नेकियों कर लू....
     रात दिन गुनाहो में मशगूल रहने वाले गफलत शिआरो की मौत के बा'द चीखो पुकार यक़ीनन ला हासिल रहेगी । क़ुरआने पाक पहले ही से मु-तनब्बेह कर चूका है चुनान्चे पारह 28 सू-रतुल मुनाफिकिन की आयत 10 और 11 में इर्शाद होता है:
*और हमारे दिये में से कुछ हमारी राह में खर्च करो कब्ल इस के की तुम में किसी को मौत आए फिर कहने लगे, ऐ मेरे रब ! तूने मुझे थोड़ी मुद्दत तक क्यूं मोहलत न दी की में स-दका और नेको में होता, और हरगिज अल्लाह किसी जान को मोहलत न देगा जब उस का वा'दा आ जाए और अल्लाब को तुम्हारे कामो की खबर है ।*

*✍🏽गफलत, 5*
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खादिमे दिने नबीﷺ *ज़ैद वहोरा*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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