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Tuesday 15 August 2017

*नमाज़ के मकरुहाते तन्ज़िहा* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     रूकू या सज्दे में बिला ज़रूरत 3 बार से कम तस्बीह कहना (अगर वक़्त तांग हो या ट्रेन चल पड़ने के खौफ से हो तो हरज नहीं। अगर मुक्तदि 3 तस्बीह न कहने पाया था कि इमाम ने सर उठा लिया तो इमाम का साथ दे)

     नमाज़ में पेशानी से ख़ाक या घास छुड़ाना। हा अगर इन की वजह से नमाज़ में ध्यान बटता हो तो छुड़ाने में हरज नही।
*✍🏼आलमगिरी, 1/106*

     सज्दे वग़ैरा में उंगलिया किब्ले से फेर देना।
*✍🏼आलमगिरी, 1/119*

     मर्द का सज्दे में रान को पेट से चिपका देना।
*✍🏼आलमगिरी, 1/109*

     नमाज़ में हाथ या सर के इशारे से सलाम का जवाब देना।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.198*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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