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Tuesday 15 August 2017

*रौज़ए अक़दस की हाज़री*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिस ने मेरी क़ब्र की ज़ियारत की, उस के लिये मेरी शफ़ाअत लाज़िम हो गई।
*✍🏼شعب الايمان*

     क़ुरआने पाक में अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और अगर जब वो अपनी जानों पर ज़ुल्म करें तो ऐ महबूब तुम्हारे हुज़ूर हाज़िर हों और फिर अल्लाह से मुआफ़ी चाहें और रसूल उन की शफ़ाअत फरमाए तो ज़रूर अल्लाह को बहुत तौबा क़बूल करने वाला मेहरबान पाएं।_

     हज़रत नईमुद्दीन मुरादआबादी عليه رحما इस आयत के तहत लिखते है : इस से मालुम हुवा की बारगाहे इलाही में रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم का वसीला और आप की शफ़ाअत कार-बरआरी (काम बन जाने) का ज़रीआ है सैय्यिदे आलम صلى الله عليه وسلم की वफ़ात शरीफ के बाद एक देहाती शख्स रैज़ाए अक़दस पर हाज़िर हुवा और रौज़ए शरीफा की खाके पाक कपने सर पर डाली और अर्ज़ करने लगा : या रसूलुल्लाह जो आप ने फ़रमाया हम ने सुना और जो आप पर नाज़िल हुवा उस में ये आयत भी है وٙلٙوْ اٙنّٙهُمْ اِذْ ظّٙلٙمُوْا में ने बेशक अपनी जान पर ज़ुल्म किया और में आप के हुज़ूर में अल्लाह से अपने गुनाह की बख्शिश चाहने हाज़िर हुवा तो मेरे रब से मेरे गुनाह की बख्शीश कराइये। इस पर क़ब्र शरीफ से निदा आई की तेरी बख्शीश की गई।
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 46*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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