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Thursday 10 August 2017

*तौबा की बुन्याद* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     (2) गुनाहों के अन्जाम के तौर पर जहन्नम में दिये जाने वाले अज़ाबे इलाही की शिद्दत को पेशे नज़र रखे, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया :
     ◆ दोज़ख़ियों में सब से हल्का अज़ाब जिस को होगा उसे आग के जूते पहनाए जाएंगे जिन से उस का दिमाग खौलने लगेगा।
*✍🏼सहीह मुस्लिम*
     ◆ अगर उस ज़र्द पानी का एक डोल जो दोज़ख़ियों के ज़ख्मों से जारी होगा वो दुन्या में डाल दिया जाए तो दुन्या वाले बदबूदार हो जाएं।
*✍🏼तिर्मिज़ी*
     ◆ दोज़ख में बख्ती (बड़े ऊंट के बराबर सांप) ये सांप एक मर्तबा किसी को काटे तो उस का दर्द और ज़हर चालीस बारस तक रहेगा। और दोज़ख में पालान बंधे हुए खच्चरों के मिस्ल बिच्छु है जिन के एक मर्तबा काटने का दर्द चालीस साल तक रहेगा।
*✍🏼المسند للإمام احمد*
     ◆ तुम्हारी ये आग जिसे इब्ने आदम रोशन करता है, जहन्नम की आग से 70 दर्जे कम है। ये सुन कर सहाबए किराम ने अर्ज़ की या रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم! वो इस से 69 दर्जे ज़्यादा है, हर दर्जे में यहाँ की आग के बराबर गर्मी है।
*✍🏼صحيح مسلم*
     ★ फिर अपने आप से यूँ मुखातिब हों। अगर मुझे जहन्नम में डाल दिया गया तो मेरा ये नरम व नाजुक बदन उस के हौलनाक अज़ाबात को किस तरह बर्दाश्त कर पाएगा ? जब की जहन्नम में पहुचने वाली तकालिफ् की शिद्दत के सबब इन्सान पर न तो बेहोशी तारी होगी और न ही उसे मौत आएगी। आह ! वो वक़्त कितनी बे बसी का होगा जिस के तसव्वुर से ही दिल कांप उठता है। क्या ये रोने का मक़ाम नही ? क्या अब भी गुनाहों से वहशत महसूस नहीं होगी और दिल में नेकियों की महब्बत नहीं बढ़ेगी ? क्या अब भी बारगाहे खुदा में सच्ची तौबा पर दिल माइल नहीं होगा ?
     उम्मीद है की बार बार इस अन्दाज़ से फ़िक्रे मदीना करने की बरकत से दिल में नदामत पैदा हो जाएगी और सच्ची तौबा की तौफ़ीक़ मिल जाएगी। أن شاء الله
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 38*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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