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Monday 28 August 2017

*कबीरा गुनाह 4* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_नमाज़ छोड़ देना_*
     _तो उन के बाद उन की जगह वो ना खल्फ़ आए जिन्होंने नमाज़ें गवाई (जाएअ कि) और अपनी ख्वाहिशों के पीछे हुवे तो अन क़रीब वो दोज़ख में गय्य का जंगल पाएंगे मगर जो ताइब हुवे।_
*✍🏼مريم ٥٩، ٦٠*

     _तो उन नमाज़ियों की खराबी है जो अपनी नमाज़ से भूले बैठे है वो जो दिखावा करते है और बरतने की चीज़ मांगे नहीं देते।_
*✍🏼الماعون ٤ تا ٧*

     _तुम्हें क्या बात दोज़ख में ले गई ? वो बोले हम नमाज़ न पढ़ते थे और मिस्कीन को खाना न देते थे और बेहूदा फ़िक्र वालों के साथ बेहूदा फ़िक्रें करते थे और हम इंसाफ के दिन को झुटलाते रहे यहाँ तक की हमें मौत आई तो उन्हें सिफारिशियों की सिफारिश काम न देगी।_
*✍🏼المدثر ٤٢، ٤٧*

नमाज़ तर्क व क़ज़ा करने की मज़म्मत में रिवायत أن شاء الله अगली पोस्ट में..
*✍🏼76 कबीरा गुनाह ,34*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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