*दीन की समझ*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : अल्लाह जिस के साथ भलाई का इरादा फ़रमाता है, उस को दीन की समझ अता फ़रमाता है।
*✍🏼सहीह बुखारी*
फिक़्ह के शरई माना ये है की अहकामे शरईय्या फरइय्या को उन के तफसीली दलाइल से जानना। इस हदिष के माना ये हुए की अल्लाह जिसे तमाम दुन्या की भलाई अता फरमाना चाहता है उसे फ़क़ीह बनाता है।
*✍🏼सहीहुल बुखारी, 1/424*
यानी इसे इल्म, दीनी समझ और दानाई बख्शता है। ख्याल रहे की फ़िक़्हे ज़ाहिरी, शरीअत है और फ़िक़्हे बातिनी, तरीकत और हक़ीक़त ये हदिष दोनों को शामिल है। इस हदिष से दो मसअले साबित हुए एक ये की क़ुरआनो हदिष के तरजमे और अलफ़ाज़ रट लेना इल्मे दीन नही बल्कि इन का समझना इल्मे दीन है। यही मुश्किल है। इसी के लिये फ़ुक़हा की तक़लीद की जाती है। इसी वजह से तमाम मुफ़स्सिरीन व मुहद्दिसिन आइम्मए मुतजहिदीन के मुक़ल्लिद हुए अपनी हदिष दानी पर नाज़ा न हुए। दूसरे ये की हदिष व क़ुरआन का इल्म कमाल नही, बल्कि इन का समझना कमाल है। आलिमे दीन वो है जिस की ज़बान पर अल्लाह और रसूल का फरमान हो और दिल में इन का फैजान।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 1/187*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 25*
*___________________________________*
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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फिक़्ह के शरई माना ये है की अहकामे शरईय्या फरइय्या को उन के तफसीली दलाइल से जानना। इस हदिष के माना ये हुए की अल्लाह जिसे तमाम दुन्या की भलाई अता फरमाना चाहता है उसे फ़क़ीह बनाता है।
*✍🏼सहीहुल बुखारी, 1/424*
यानी इसे इल्म, दीनी समझ और दानाई बख्शता है। ख्याल रहे की फ़िक़्हे ज़ाहिरी, शरीअत है और फ़िक़्हे बातिनी, तरीकत और हक़ीक़त ये हदिष दोनों को शामिल है। इस हदिष से दो मसअले साबित हुए एक ये की क़ुरआनो हदिष के तरजमे और अलफ़ाज़ रट लेना इल्मे दीन नही बल्कि इन का समझना इल्मे दीन है। यही मुश्किल है। इसी के लिये फ़ुक़हा की तक़लीद की जाती है। इसी वजह से तमाम मुफ़स्सिरीन व मुहद्दिसिन आइम्मए मुतजहिदीन के मुक़ल्लिद हुए अपनी हदिष दानी पर नाज़ा न हुए। दूसरे ये की हदिष व क़ुरआन का इल्म कमाल नही, बल्कि इन का समझना कमाल है। आलिमे दीन वो है जिस की ज़बान पर अल्लाह और रसूल का फरमान हो और दिल में इन का फैजान।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 1/187*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 25*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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