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Friday 27 April 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #125
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत हाजरा और इस्माइल عليه السلام को हरम की ज़मीन में छोड़ना* #02
      जहा आज ज़मज़म है वहां एक दरख्त था उस वक़्त न मक्का था और न ही किसी इंसान का वहां बसेरा था और वहां पानी भी नहीं था आपने एक थैले में कुछ खजूरें और एक मश्किज़ा में कुछ पानी माँ-बेटे के हवाले करते हुए उस दरख्त के निचे छोड़ते हुए वापस लौटे तो हाजरा ने आपका पीछा करते हुए पूछा: आप हमें यहाँ छोड़ कर कहाँ जा रहे है? यहाँ कोई हमारा गमख़्वार, मोनिस व हमदम नहीं और न ही यहाँ कोई आबादी है कि खाने पिने की चीज़ मिल जाये, कई मर्तबा हाजरा के पूछने पर भी आपने कोई जवाब न दिया तो फिर हज़रत हाजरा ने पूछा क्या अल्लाह ने आपको यह हुक्म दिया है? आपने फ़रमाया हाँ तो हज़रत हाजरा ने कहा: अच्छा हमे अल्लाह ज़ाया नहीं करेगा, यह कहते हुए वापस अपनी जगह पर लौट आई।
     इब्राहिम عليه السلام एक घाटी के पास पहुचे जहाँ से आपको ज़ौजा और बेटा नज़र नहीं आ रहे थे, आपने बैतुल्लाह शरीफ की तरफ तवज्जोह की उस वक़्त सिर्फ बैतुल्लाह की बुनियादें एक टीला की मानिन्द नज़र आती थी और दुआ की: ऐ हमारे रब में ने बसा दिया है अपनी कुछ औलाद को इस वादी में जिस्मे खेती बाड़ी नहीं तेरे हुरमत वाले घर के पड़ोस में ऐ हमारे रब यह इसलिये ताकि वह नमाज़ क़ायम करें पस कर दे लोगों के दिलों को कि वह शौक़ व मिहब्बत से उनकी तरफ माइल हों और उन्हें रिज़्क़ दे फलों से ताकि वह तेरा शुक्र अदा करे।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 102
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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