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Monday 30 April 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #128
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत इब्राहिम عليه السلام की क़ुरबानी*
     आप عليه السلام ने हिजरत के बाद बेटे के लिये दुआ की "ऐ अल्लाह मुझे नेक औलाद अता फरमा"।
      आपकी दुआ में तीन मुतालबे थे ऐ अल्लाह औलादे नरीना यानी मुज़ककर अता फरमा, और वह बुर्दबारी की उम्र तक पहुंचे और बुर्दबार ही रहे। आप عليه السلام भी हलीम है आपकी शान में अल्लाह ने फ़रमाया: "बेशक इब्राहिम बहुत आहें करने वाले मुतहम्मिल बुर्दबार है"।
     आपका बेटा भी हलीम अता किया ताकि बेटा भी बाप की तरह शरफ़ व फ़ज़ीलत वाला हो और जलिलुल क़द्र नबी हो। सलाह यानी नेकी और अल्लाह का कुर्ब बहुत ही अच्छा सिफत है इसलिये इब्राहिम عليه السلام ने बेटे के लिये भी यही दुआ की और अपनी ज़ात के लिये भी दुआ करते हुए अर्ज़ किया: "ऐ मेरे रब मुझे हुक्म अता फरमा और मेरे रब मुझे उनसे मिला जो तेरे कुर्ब के लायक़ है।"
     फिर जब वह उसके साथ काम के क़ाबील हो गया, कहा ऐ मेरे बेटे मेने ख्वाब देखा, में तुम्हे ज़िबह करता हूँ अब तू देख तेरी क्या राय है? कहा ऐ मेरे बाप! कीजिये जिस बात का आपको हुक्म होता है, खुदा ने चाहा तो क़रीब है की आप मुझे साबिर पाओगे।

*क़ुरबानी के वक़्त इस्माइल عليه السلام की उम्र*
     बाज़ अहले इल्म का क़ौल यह है कि ज़िबह का वाक़ीआ दरपेश आने के वक़्त आप عليه السلام की उम्र 13 साल थी।

*इम्तेहान की वजह*
     चुकी आयते करीमा में यह ज़िक्र हुआ की अल्लाह ने इब्राहिम عليه السلام को हलीम बेटे की बशारत दी, अब इम्तेहान लेकर उसे वाज़ेह कर दिया की कितना अज़ीम साबिर और बुर्दबार बेटा आपको रब ने अता किया जिस ने इतने बड़े इम्तेहान को सब्र और खन्दा पेशानी से पास किया।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 103
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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