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Saturday 21 April 2018

*अल्लाह عزوجل और उस का रसूल ﷺ बस:  #17*

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     एक दिन सरवरे काइनात ﷺ का हल्या बयान कर रहे थे कि: "मैं ने कभी कोई रेशम रसूलुल्लाह ﷺ की हथेली से ज़ियादा नर्म नहीं छुवा, और न कभी कोई खुशबू हुज़ूर ﷺ के बदने मुबारक से ज़ियादा ख़ुशबूदार सूंघी।"
     इसी तरह बयान करते करते फर्ते महब्बत से इतने बे करार हो गए कि गिर्या तारी हो गया और ज़बान पर बे इख्तियार यह अल्फ़ाज़ आ गये।
     "क़ियामत के दिन रसूलुल्लाह ﷺ की ज़ियारत नसीब होगी तो अर्ज़ करूंगा या रसूलुल्लाह ﷺ आप का अदना गुलाम अनस हाज़ीर है।"
     हुज़ूर ﷺ से बे पनाह महब्बत और अकीदत का येह असर था कि उन्हें अक्शर ख्वाब में सय्यिदुल अनाम ﷺ की ज़ियारत नसीब हो जाती थी। अल्लाह عزوجل और उसका रसूल ﷺ उन को दुन्या की हर शै से महबूब तर थे।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 86
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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