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Saturday 21 April 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #120
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रते इब्राहिम عليه السلام का हिजरत करना*
     रब ने इर्शाद 'इला रब्बी' का मतलब बयान करते हुए अल्लामा आलुसी رحمة الله عليه  फ़रमाते है: जहा मेरे रब ने हुक्म दिया है में वहा जा रहा हूँ कि में वहा अपनी इबादत को बेहतर तरीके से अदा कर सकूँगा। क्योंकि जो क़ौम मेरी निशानियां देखकर भी ईमान न लाइ वहा ठहरना अब बे मक़सद है और जब अल्लाह ने भी हुक्म दिया है तो अब यहां से हिजरत करना ज़रूरी हो चुका है।
     इब्तदाई तौर पर आप नमरूदी क़ौम से हिजरत करके अपने चचा हारान के पास हीरान में आ गये। हारान ने इब्राहिम عليه السلام की ने बख्ती देखकर अपनी बेटी सारा का निकाह आपसे कर दिया।
     हज़रत सारा बहुत ही खूबसूरत औरत थी, मर्दों में हज़रत युसूफ और औरतों में हज़रत सारा बहुत हसीन हुए, बल्कि हज़रत युसूफ को अपनी दादी हज़रत सारा के हुस्न से ही हुस्न मिला था।
     हज़रत इब्राहिम عليه السلام ने वहां भी अपना सिलसिलए तबलीग जारी रखा इसलिये आपके चचा हारान ने भी आपको घर से निकाल दिया। दौराने हिजरत रास्ते में मिस्र के ज़ालिम बादशाह का वाक़ीआ दरपेश आया और हज़रत सारा को हज़रत हाजरा अता की गई। यह वाक़ीआ पहले बयान किया जा चूका है।
     हिजरत करने वाला काफिला जब हीरान से चला था सिर्फ तीन आदमियो पर मुश्तमिल था, हज़रत इब्राहिम عليه السلام, हज़रत सारा और हज़रत लूत عليه السلام। इस काफिला के अफ़राद अल्लाह की वहदानियत को मानने वाले उस वक़्त सिर्फ यही थे। चलते वक़्त हज़रत इब्राहिम عليه السلام और हज़रत सारा का मुआहिदा हुआ था कि एक दूसरे की बात को माना जायेगा। रास्ते में जब हज़रत हाजरा भी मिल गई तो अब काफिले के 4 अफ़राद हो गये जो तमाम ही अल्लाह को मानने वाले थे।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 99
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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