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Wednesday 18 April 2018

*अल्लाह عزوجل और उस का रसूल ﷺ बस:  #14*

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

   _परवाने को चराग है तो बुलबुल को फूल बस_
   _सिद्दीक के लिये है खुदा का रसूल बस_
    यानी अल्लाह عزوجل और उसके रसूल ﷺ के नाम की बरकत, उनकी रिज़ा और ख़ुशनूदी को छोड़ आया हूं। हज़तते उमर रदिअल्लाहो तआला अन्हो फ़रमाते है कि मैं ने कहा: मैं हज़रते अबू बक्र सिद्दीक रदिअल्लाहो तआला अन्हो से कभी नही बढ़ सकता। यह किस्सा ग़ज़वए तबूक के लिये फराहमिये माल व अस्बाब का है।   
 
      हज़रते अनस रदिअल्लाहो तआला अन्हो के सहीफ़ए अख्लाक में हुब्बे रसूल ﷺ और इत्तेबाए सुन्नत के निहायत नुमायां अब्वाब है। उन्होंने होश की आंखे खोली तो इस्लाम को अपने घराने पर शुरूअ दिन ही से पर तौ फ़िगन देखा। उनकी वालिदा हज़रते उम्मे सुलैम, सौतेले वालिद हज़रते अबू तल्हा, चाचा हज़रते अनस बिन नज़्र, भाई हज़रते बरा बिन अल मलक, खाला उम्मे हराम और सभी सरवरे दो आलम ﷺ के मुख्लिस शैदाई थे।
     खानदान में हर वक्त ज़ाते रिसालत मआब ﷺ और आपकी दा'वते हक़ का चर्चा होता रहता था। इस पाकीज़ा माहोल ने कमसिन अनस रदिअल्लाहो तआला अन्हो के दिल मे हुज़ूरे पुरनूर ﷺ की महब्बत का बीज बो दिया।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 85
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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