Pages

Saturday 21 April 2018

*आक़ा का महीना* #17
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*कब्रस्तान की हाजरी के मदनी फूल* #03
     जो कब्रस्तान में दाखिल हो कर ये कहे : अय अल्लाह ! अय गल जाने वाले जिस्मो और बोसीदा हड्डियों के रब ! जो दुन्या से ईमान की हालत में रुखसत हुए तू उन पर अपनी रहमत और मेरा सलाम पहोचा दे। तो हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से ले कर इस वक़्त तक जितने मोमिन फौत हुए सब उस दुआ पढ़ने वाले के लिये दुआए मग्फिरत करेंगे।
     हुज़ूर ﷺ का फरमाने शफ़ाअत निशान है : जो शख्स कब्रस्तान में दाखिल हुवा फिर उस ने सूरतुल फातिहा, सूरतुल इखलास और सुरतुत्तकासुर पढ़ी फिर ये दुआ मांगी : या अल्लाह ! मेने जो कुछ कुरआन पढ़ा उसका षवाब इस कब्रस्तान के मोमिन मर्दों और मोमिन औरतो को पहोचा। तो वो तमाम मोमिन क़यामत के रोज़ उस इसाले षवाब करने वाले के सिफारिशी होंगे।
*✍🏽शरहु स्सुदुर् स.311*

     हदीशे पाक में है : जो 11 बार सूरतुल इखलास पढ़ कर इसका षवाब मुर्दो को पहोचाए, तो मुर्दो की गिनती के बराबर उस इसाले षवाब करने वाले को षवाब मिलेगा।
*✍🏽दुर्रे मुख्तार, जी.3 स.183*

     क़ब्र के ऊपर अगरबत्ती न जलाई जाए इस में बे अदबी और बद फाली है (और इस से मैयत को तकलीफ होती है), हा अगर हाज़रिन को खुशबु पोहचाने के लिये लगाना चाहे तो क़ब्र के पास खाली जगह हो वहा लगाए के खुशबु पहोचाना महबूब है।
*✍🏽मूलख्खसन फतावा रज़विय्या मुखर्रजा, जी.9 स.482,525*

     आला हज़रत अलैरहमा एक और जगह फरमाते है : सहीह मुस्लिम शरीफ में हज़रते अम्र बिन आस से मरवी, उन्हों ने दमे मर्ग (यानि वक़्ते वफ़ात) अपने फ़रज़न्द से फ़रमाया : जब में मर जाउ तो मेरे साथ न कोई नौहा करने वाली जाए न आग जाए।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, स.70 हदिष:192*
     क़ब्र पर चराग या मोमबत्ती वग़ैरा न रखे के ये आग है, और क़ब्र पर आग रखने से मैय्यत को तकलीफ होती है,
*✍🏽आक़ा का महीना, स.29*
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
📧https://www.youtube.com/channel/UCuJJA1HaLBLMHS6Ia7GayiA

No comments:

Post a Comment