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Saturday 5 May 2018

*फ़ज़ाइले रमज़ान शरीफ* #13
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*आक़ा इबादत पर कमर बस्ता हो जाते*
     बिल खुसुस माहे रमज़ान में हमे अल्लाह की खूब खूब इबादत करनी चाहिये और हर वो काम करना चाहिये कि जिस में अल्लाह और उसके हबीब की रिज़ा हो। अगर इस पाकीज़ा महीने में भी कोई अपनी बख्शिश न करवा सका तो फिर कब करवाएगा ?
     हमारे प्यारे आक़ा ﷺ इस मुबारक महीने की आमद के साथ ही इबादतें इलाही में बहुत ज़्यादा मगन हो जाया करते थे। चुनान्चे उम्मुल मोअमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीक़ा रदिअल्लाहु अन्हा फरमाती है : जब माहे रमज़ान आता तो मेरे सरताज ﷺ अल्लाह की इबादत के लिये कमर बस्ता जो जाते और सारा महीना अपने बिस्तरे मुनव्वर पर तशरीफ़ न लाते।
*✍🏽अद्दुरु मन्सूर, 1/449*

*आक़ा रमज़ान में खूब दुआए मांगते थे*
     जब माहे रमज़ान तशरीफ़ लाता तो हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का रंग मुबारक मुतगय्यर हो जाता और आप नमाज़ की कसरत फ़रमाते और खूब गिड़ गीडा कर दुआए मांगते और अल्लाह का खौफ आप पर तारी रहता।
*✍🏽शुएबुल ईमान, 3/310, हदिष:3635*

*आक़ा रमज़ान में खूब खैरात करते*
     इस माह में खूब सदक़ा व खैरात करना भी सुन्नत है। जब माहे रमज़ान आता तो हुज़ूर صلى الله عليه وسلم हर कैदी को रिहा कर देते और हर साइल को अता फ़रमाते।
*✍🏽अद्दुररुल मन्सूर, 1/449*
*✍🏽फ़ज़ाइले रमज़ान, 35*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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