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Saturday 7 July 2018

*वुज़ू और साइन्स* #11/15


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_नाक में पानी डालने की हिकमते_*
     फेफड़ो को ऐसी हवा दरकार होती है जो जरासिम, धुंए और गर्दो गुबार से पाक हो और उसमे 80 फीसद रतूबत (यानी तरी) हो ऐसी हवा फ़राहम करने के लिये अल्लाह ने हमें नाक की ने'मत से नवाज़ा है।
     हवा को मरतूब यानि नम बनाने के लिये नाक रोज़ाना तकरीबन चौथाई गेलन नमी पैदा करती है।
◆ सफाई और दीगर सख्त काम नथनों के बाल सर अन्जाम देते है।
◆ नाक के अन्दर एक खुर्द बिनी (Microscopic) जाड़ू है। इस जाड़ू में नज़र न आने वाले रुए होते है जो हवा के ज़रिए दाखिल होने वाले जरासिम को हलाक कर देते है।
◆ नीज़ इन नज़र न आने वाले जरासिम के ज़िम्मे एक और डिफाइ निज़ाम भी है जिसे इंग्रजी में (Lysozyme) कहते है, नाक इस के ज़रिए से आँखों को जरासिम से महफूज़ रखती है।

     अल्हम्दु लिल्लाह वुज़ू करने वाला नाक में पानी चढ़ाता है जिस से जिस्म के इस अहम तरीन आले नाक की सफाई हो जाती है और पानी के अंदर काम करने वाकई बर्क़ी रौ से नाक के अंदरुनी गैर मर्इ रुओ की कारकर्दगी को तक्वीयत मिलती है और मुसलमान वुज़ू की बरकत से नाक के बे शुमार पेचीदा अमराज़ से महफूज़ हो जाता है।
     दाइमी नज़ला और नाक के ज़ख्म के मरीज़ों के लिये नाक का गुस्ल (यानि वुज़ू की तरह नाक में पानी चढ़ाना) बेहद मुफीद है।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 68-69*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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