بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
बोले पाकी है तुझे हमें कुछ इल्म नहीं मगर जितना तूने हमें सिखाया बेशक तू ही इल्म और हिकमत वाला है(6)
*तफ़सीर*
(6) इसमें फ़रिश्तों की तरफ़ से अपने इज्ज़ (लाचारी) और ग़लती का ऐतिराफ और इस बात का इज़हार है कि उनका सवाल केवल जानकारी हासिल करने के लिये था, न कि ऐतिराज़ की नियत से. और अब उन्हें इन्सान की फ़ज़ीलत (बड़ाई) और उसकी पैदाइश का रहस्य मालूम हो गया जिसको वो पहले न जानते थे.
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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