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Thursday 13 July 2017

*मेहमान नवाज़ी की सुन्नते और आदाब* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     मेहमान नवाज़ी करना सुन्नते मुबारका है, अहादिश में इस के बहुत से फ़ज़ाइल बयान किये गए है बल्कि यहाँ तक फ़रमाया की मेहमान बाइसे खैरो बरकत है। एक दफा हुज़ूर صلى الله عليه وسلم के यहाँ मेहमान हाज़िर हुवा तो आप ने क़र्ज़ ले कर उस की मेहमान नवाज़ी फ़रमाई।
     चुनान्चे अबू राफेअ رضي الله عنه कहते है, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने मुझ से फ़रमाया, फुला यहूदी से कहो की मुझे आटा क़र्ज़ दे। में रजब शरीफ के महीने में अदा कर दूंगा (क्यू की एक मेहमान मेरे पास आया हुवा है) यहूदी ने कहा, जब तक कुछ गिरवी नही रखोगे, न दूंगा। हज़रते अबू राफेअ رضي الله عنه कहते है की में वापस आया और हुज़ूर صلى الله عليه وسلم की खिदमत में उस का जवाब अर्ज़ किया। आप ने फ़रमाया, वल्लाह ! में आसमान में भी अमीन हु और ज़मीन में भी अमीन हु। अगर वो दे देता तो में अदा कर देता। (अब मेरी वो ज़िरह ले जा और गिरवी रख कर आ। में ले गया और ज़िरह गिरवी रख कर लाया)

*_मेहमान बाइसे खैरो बरकत है_*
     हज़रते अनस رضي الله عنه का बयान है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया, जिस घर में मेहमान हो उस घर में खैरो बरकत उसी तरह दौड़ती है जैसे ऊंट की कौहान से छड़ी (तेज़ी से गिरती है), बल्कि इस से भी तेज़।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 108*

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