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Tuesday 4 July 2017

*बन्दों के हुक़ूक़* #15
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_बन्दों के हुक़ूक़ अदा करने के तरीके_* #01
     जो चीज़ जिस क़दर अहम हो, उस के हुसूल के लिये भी उतनी ही कोशिश की जाती है, अगर मुसलमान, बन्दों के हुक़ूक़ की अदाएगी करे, तो इस से दुन्या व आख़िरत सवर सकती है और इस की अदाएगी में कोताही से काम लिया तो दुन्या व आख़िरत दोनों ही बर्बाद हो सकती है। लिहाज़ा किसी भी ज़ी शऊर शख्स से इस की अहमिय्यत ढकी छुपी नही। बन्दों के हुक़ूक़ का ख्याल रखने, बन्दों के हुक़ूक़ अदा करने की आदत किस तरह बनाई जाए ? आइये ! इस के चन्द तरीके भी देखते है :

★ *हुक़ूक़ का इल्म हासिल कीजिये :* सब से पहले बन्दों के हुक़ूक़ का इल्म हासिल करना होगा, किसी भी चीज़ की सहीह मालूमात के बगैर उस और अमल पैरा होना तक़रीबन न मुमकिन होता है।

★ *हमेशा मुरबत सोचिये :* किसी के बारे में मन्फ़ी सोच को दिलो दिमाग में जगह देने और उस के ना पसन्दीदा औसाफ याद करने के बजाए मुस्बत सोच क़ाइम कीजिये और उस के अच्छे औसाफ को याद रखिये।
     मन्कुल है की एक शख्स अपनी बीवी की शिकायत करने के लिये हज़रते उमर رضي الله عنه के पास पहुचा, दरवाज़े पर पहुच कर उस ने आप की ज़ौजा की बुलन्द आवाज़ से गुफ्तगू सुनी, वो ये कहते हुवे लौट गया की आप खुद इस मसअले का शिकार है, बाद में आप ने उसे बुलवा कर आने और फिर लौट जाने की वजह पूछी, उसने मुकम्मल वाक़ीआ अर्ज़ किया तो आप رضي الله عنه ने फ़रमाया : बीवी के चन्द हुक़ूक़ के सबब में उस से दर गुज़र करता हु। (1) वो मुझे जहन्नम से बचाने का ज़रीआ है, उस की वजह से मेरा दिल हराम की ख्वाहिश से बचा रहता है। (2) मेरी घर से गैर मौजूदगी में वो मेरे माल की हिफाज़त करती है। (3) मेरे कपड़े धोती है। (4) मेरे बच्चों की परवरिश करती है। (5) मेरे लिये खाना पकाती है। उस ने कहा ये औसाफ तो मेरी बीवी में भी मौजूद है, लिहाज़ा अब में भी उस से दर गुज़र किया करूँगा।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼बन्दों के हुक़ूक़, 23*

*तमाम मोमिनो के इसले षवाब के लिये*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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