*नमाज़ तोड़ने वाली बाते* #11
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_अल्लाहुअकबर कहने में गलतिया_*
★ तकबीराते इन्तिक़ालात में अल्लाहुअकबर के अलिफ़ को दराज़ किया यानी "आल्लाह" या "आकबर" कहा या बा के बाद अलिफ़ बढ़ाया यानि "अकबार" कहा तो नमाज़ फासिद् हो गई
और अगर तकबीरे तहरिमा में ऐसा हुआ तो नमाज़ शुरू ही न हुई।
★ अक्सर मुकब्बिर (जमाअत में इमाम की तकबिरात पर ज़ोर से तकबीरे कह कर आवाज़ पहुचाने वाले) ये गलतिया ज़्यादा करते है और यूँ अपनी और दुसरो की नमाज़े गारत करते है।
■ लिहाज़ा जो इन अहकाम को अच्छी तरह न जानता हो उसे मुकब्बिर नहीं बनना चाहिये।
★ किराअत या अज़्कारे नमाज़ में ऐसी गलती जिस से माना फासिद् हो जाए नमाज़ फासिद् हो जाती है।
*✍🏼दुर्रेमुखतार मअ रद्दलमोहतार, जी.2*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स. 189*
*___________________________________*
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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★ तकबीराते इन्तिक़ालात में अल्लाहुअकबर के अलिफ़ को दराज़ किया यानी "आल्लाह" या "आकबर" कहा या बा के बाद अलिफ़ बढ़ाया यानि "अकबार" कहा तो नमाज़ फासिद् हो गई
और अगर तकबीरे तहरिमा में ऐसा हुआ तो नमाज़ शुरू ही न हुई।
★ अक्सर मुकब्बिर (जमाअत में इमाम की तकबिरात पर ज़ोर से तकबीरे कह कर आवाज़ पहुचाने वाले) ये गलतिया ज़्यादा करते है और यूँ अपनी और दुसरो की नमाज़े गारत करते है।
■ लिहाज़ा जो इन अहकाम को अच्छी तरह न जानता हो उसे मुकब्बिर नहीं बनना चाहिये।
★ किराअत या अज़्कारे नमाज़ में ऐसी गलती जिस से माना फासिद् हो जाए नमाज़ फासिद् हो जाती है।
*✍🏼दुर्रेमुखतार मअ रद्दलमोहतार, जी.2*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स. 189*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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