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Friday 14 July 2017

*मेहमान नवाज़ी की सुन्नते और आदाब* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मेहमान मेज़बान के गुनाह मुआफ़ होने का सबब होता है_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जब कोई मेहमान किसी के यहाँ आता है तो अपना रिज़्क़ ले कर आता है और जब उस के यहाँ से जाता है तो साहिबे खाना के गुनाह बख्शे जाने का सबब होता है।

*_10 फ़रिश्ते साल भर तक घर में रहमत लुटाते है_*
    हज़रते अनस رضي الله عنه ने अपने भाई हज़रते बराअ बिन मालिक رضي الله عنه से फ़रमाया, ऐ बराअ ! आदमी जब अपने भाई की, अल्लाह के लिये मेहमान नवाज़ी करता है और इस की कोई जज़ा और शुक्रिया नही चाहता तो अल्लाह उस के घर में 10 फरिश्तों को भेज देता है जो पुरे एक साल तक अल्लाह की तस्बीह व तहलील और तकबीर पढ़ते और उस के लिये मगफिरत की दुआ करते रहते है। और जब साल पूरा हो जाता है तो उन फरिश्तों की पूरी साल की इबादत के बराबर उस के नामए आमाल में इबादत लिख दी जाती है और अल्लाह के जिम्मए करम पर है की उसको जन्नत की लज़ीज़ ग़िज़ाए "जन्नतुल खुल्द" और न फना होने वाली बादशाही में खिलाए।
   
*_मेहमान को दरवाज़े तक तुख्सत करना सुन्नत है_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : सुन्नत ये है की आदमी मेहमान को दरवाज़े तक रुख्सत करने जाए।

     ऐ हमारे प्यारे अल्लाह ! हमे मेहमानो की खुश दिली के साथ मेहमान नवाज़ी की तौफ़ीक़ अता फरमा और बार बार हमे मदीने की महकी फ़ज़ाओं में मदनी आक़ा صلى الله عليه وسلم का मेहमान बनने की सआदत नसीब फरमा।
اٰمِيْن بِـجٙـاهِ النّٙـبِـىِّ الْاٙ مِيْن
*✍🏼सुन्नते और आदाब, 110*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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